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११० श्रवणबेलगोल के स्मारक वहाँ इस वंश के राजा राजेन्द्र पृथ्वी 'समधिगतपञ्चमहाशब्द', 'महामण्डलेश्वर', 'ओरेयूरपुरवराधीश्वर', 'चोलकुलोदयाचलगभस्तिमालो' व 'सूर्यवंशशिखामणि' कहे गये हैं। इससे स्पष्ट है कि कोङ्गाल्व नरेश सूर्यवंशी थे और चोलवश से उनकी उत्पत्ति थी। ओरेयूर व उरगपूर चोल राज्य की प्राचीन राजधानी थी। इस वंश के शिलालेखों से अब तक निम्नलिखित राजाओं के नाम व समय विदित हुए हैं
सन् ईस्वी बडिव कोङ्गाल्व. राजेन्द्र चोल पृथुवी महाराज...... ......१०२२ राजेन्द्र चोल कोङ्गाल्व....... .......१०२६ राजेन्द्र पृथुवी कोङ्गाल्वदेव अदटरादित्य...१०६६-११०० त्रिभुवनमल्ल चोल कोङ्गाल्वदेव अदटरादित्य......११००
लेख नं० ५०० (शक १००१) व अन्य लेखों से स्पष्ट है कि अदटरादित्य जैनधर्मावलम्बी था। उक्त लेख में उभयसिद्धान्त-रत्नाकर प्रभाचन्द्र सिद्धान्तदेव की कीर्ति के पश्चात् कहा गया है कि अददरादित्य नरेश राजेन्द्र पृथुवी कोङ्गाल्व ने गण्डविमुक्त सिद्धान्तदेव के लिये चैत्यालय बनवाया। यह लेख चतुर्भाषाविज्ञ सान्धिविग्रहिक नकुलार्य का लिखा हुआ है। लेख नं० ४८८ त्रिभुवनमल्ल चोल कोङ्गाल्व देव के समय का है।
चङ्गल्ववंश इस वश के नरेशों का राज्य पश्चिम मैसूर और कुर्ग में • था। वे अपने को यादव शो कहते थे। उनका प्राचीन स्थान
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