SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कोङ्गावंश नालम्ब व पल्लव वंश लेख नं० १०८ (२८१ ) में चामुण्डराज द्वारा नोलम्ब नरेश के हराये जाने का उल्लेख है । सम्भवतः यह नरेश दिलीप का पुत्र नन्नि नोलम्ब था । लेख नं० १२० (३१८) में अरकरे के वीर पल्लवराय व उसके पुत्र शङ्कर नायक के नाम पाये जाते हैं 1 शङ्कर नायक का नाम लेख (१७० ) व २४-६ ( १७१ ) में भी पाया जाता है । लगभग शक सं० ११४० के हैं । नं० ७३ ये लेख चोलवंश शक की दशवीं शताब्दि के एक अधूरे लेख नं० ४६८ (३७८) में एक चोल पेर्मडि का गङ्गों के साथ युद्ध का उल्लेख है । सम्भवतः यह नरेश राजेन्द्र चोल ही था जो गङ्गनरेश भूतराय द्वारा शक सं० ८७१ के लगभग मारा गया था जिसका कि उल्लेख अतकूर के लेख में है । लेख नं० -८० (२४० ), ३६० (२५१) व ४८६ ( ३८७ ) में गङ्गराज द्वारा चोलराज नरसिंह वर्मा व दामोदर की पराजय का उल्लेख है । htङ्गालव वंश कोङ्गाव नरेशों का राज्य अर्कल्गुद तालुका के अन्तर्गत कावेरी और हेमवती नदियों के बीच था । सं० ६४२ से १०२२ तक के पाये गये हैं । में चङ्गाव राज्य था । इस वंश का सबसे अच्छा परिचय लेख नं० ५०० में राजा की उपाधियों में पाया जाता है । Jain Education International १०८ For Private & Personal Use Only इनके लेख शक इन्हीं के दक्षिण www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy