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________________ १०८ श्रवणबेलगोल के स्मारक लक्ष्मी पंडित की प्रार्थना पर इसके बदले तीन ग्रामों का उक्त दान दिया गया । कृष्णराज ओडेयर तृतीय के समय का एक और लेख नं. ६८ (२२३) (शक १७४८) है। इस लेख में उल्लेख है कि चामुण्डराज के एक वंशज, कृष्णराज के प्रधान अङ्गरक्षक की मृत्यु गोम्भटेश्वर के मस्तकाभिषेक के दिवस हुई। इस पर उनके पुत्र ने गोम्मट स्वामी की प्रतिवर्ष पूजा के हेतु कुछ दान दिया। वर्तमान महाराजा कृष्णराज प्रोडेयर चतुर्थ का नाम तिथि सहित चन्द्रगिरि के शिखर पर अंकित है जो नवम्बर १६०० ईस्वी में उनके बेलगोल आने का स्मारक है। कदम्ब वंश अनुमान शक की नवमी शताब्दि के लेख न. २८२ (४४३ ) में काचिन दाणे के पास एक कदम्ब राजा की अाज्ञा से तीन शिलायें लाई जाने का उल्लेख है। यह कदम्ब नरेश कौन था व शिलायें किस हेतु लाई गई थी यह विदित करने के कोई साधन उपलब्ध नहीं हैं। * लेख नं० १ ४ १ राइस साहब के संग्रह में छपा है पर श्रीयुक्त नरसिंहाचार के नये संस्करण में वह नहीं छापा गया। श्रीयुक्त नरसिंहाचार का कथन है कि यह लेख उपयुक्त दोनों सनदो के ऊपर से तैयार किया गया है और इसका अब मठ में पता नहीं चलता (देखो लेख नं० १४५ ।) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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