________________
मैसूर राजवंश
१८७ उल्लेख है। लेख नं० ८३ ( २४६ ) में कृष्णराज ओडेयर के शक सं० १६४५ में बेलगोल में आने व गोम्मटेश्वर के हेतु बेलगोल आदि कई ग्रामों के दान का व चिक्कदेवराजवाले कुण्ड के निकट बनी हुई दानशाला के हेतु कबाले नामक प्राम के दान का उल्लेख है। लेख में कहा गया है कि गोम्मटेश्वर के दर्शन कर नरेश बहुत ही प्रसन्न हुए और पुलकितगात्र होकर उन्होंने उक्त दान दिये। अनन्तकवि कृत 'गोम्मटेश्वर चरित' में भी इस नरेश की बेल्गोल-यात्रा का वर्णन है।
लेख नं. ४३३ ( ३५३) और ४३४ ( ३५४ ) कागज पर लिखी हुई कृष्णराज ओडेयर तृतीय की सनदें हैं जो समय-समय पर बेल्गोल के गुरु को दी गई हैं। इनमें की प्रथम सनद नरेश के मंत्री पुर्णय्य की दी हुई है और उस में कृष्णराज ओडेयर प्रथम के दान का समर्थन किया गया है। द्वितीय सनद स्वयं नरेश ने दी है। उसमें बेल्गोल के समस्त मंदिरों के खर्च व जीर्णोद्धार के लिये तीन ग्रामों के दान का उल्लेख है। इस लेख में समस्त मंदिरों की संख्या तेतीस दी है-विन्ध्यगिरि पर पाठ, चन्द्रगिरि पर सोलह, ग्राम में आठ व मलेयूर की पहाड़ी पर एक । इससे पूर्व मठ को उक्त मंदिरों के खर्च व जीर्णोद्धार के लिये राज्य से एक सौ बीस वरह का दान मिलता था। पर यह उक्त कार्य के लिये यथेष्ट नहीं था इसी से राजमहल के
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
___www.jainelibrary.org