________________
१०४
श्रवणबेलगोल के स्मारक
नं० ८२ (२५३ ) ( शक १३४४ ) में हरिहर द्वितीय के सेनापति इरुप का परिचय है और कहा गया है कि उन्होंने बेल्गोल, एक वनकुञ्ज और एक तालाब का दान गोम्मटेश्वर के हेतु कर दिया। लेख में इरुगप की वंशावली इस प्रकार पाई जाती है
बैच दण्डनायक ( बुक्कराय प्र० के मंत्री )
मानगप जानकी
इरुगप
Jain Education International
Ī
बैचप
इरुगप
लेख में पण्डितार्य और श्रुतमुनि की प्रशंसा के पश्चात् कहा गया है कि श्रुतमुनि के समक्ष उक्त दान दिया गया था । यह लेख शक सं० १३४४ का है जिससे विदित होता है कि sory देवराय द्वितीय के समय में भी विद्यमान थे । इरुगप संस्कृत के अच्छे विद्वान थे । उन्होंने 'नानार्थरत्नमाला' नामक पद्यात्मक कोष की रचना की थी। उनके तीन और लेख मिले हैं ( ए० इ० ७, ११५; सं० इ० इ० १– १५६ ) जिनमें से दो शक सं० १३०४ और १३०८ के हैं जिनमें पण्डितार्य की प्रशंसा है व तीसरा शक सं० १३०७ का है और उसमें
बुकण
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org