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विजयनगर
वह राज्य का, संघ का व समुदाय का द्रोही ठहरेगा। इस सम्बन्ध में कदम्बहल्लि की शान्तीश्वर बस्ती का स्तम्भ लेख भी महत्व पूर्ण है। इस लेख में शैवों द्वारा जैनियों के अधिकारों की रक्षा का उल्लेख है। उसमें कहा गया है कि यमादि योग गुणों के धारक, गुरु और देवों के भक्त, कलिकाल की कालिमा के प्रक्षालक, लाकुलीश्वर सिद्धान्त के अनुयायी, पञ्चदीक्षा क्रियायों के विधायक सात करोड़ श्रीरुद्रों ने एकत्रित होकर मूलसंघ, देशीगण, पुस्तक गच्छ के कदम्बहल्लि के जिनालय को 'एक्कोटि जिनालय' की उपाधि तथा पञ्चमहावाद्य का अधिकार प्रदान किया। जो कोई इसमें ऐसा नहीं होना चाहिए' कहेगा वह शिव का द्रोही ठहरेगा। यह लेख लगभग शक सं० ११२२ का है। ___ लेख नं. १२६ ( ३२६ ) में हरिहर द्वितीय की मृत्यु का उल्लेख है जो तारण संवत्सर ( शक १३६८ ) भाद्रपद कृष्णा दशमी सोमवार को हुई। अन्य एक लेख ( ए० क०८, तीर्थहल्लि १२६) से भी इसी बात का समर्थन होता है। लेख नं० ४२८ ( ३३७ ) से विदित होता है कि देवराय महाराय की रानी व पण्डिताचार्य की शिष्या भीमादेवी ने मङ्गायी बस्ति में शान्तिनाथ भगवान की प्रतिष्ठा कराई। यह राजा सम्भवतः देवराय प्रथम है। शिलालेख से यह नई बात विदित होती है कि इस राजा की रानी जैनधर्मावलम्बिनी थी। यह लेख लगभग शक सं० १३३२ का है। लेख
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