________________
१०२
श्रवणबेलगोल के स्मारक
गये और मार डाले गये और उनकी सुन्दर राजधानी विजयनगर विध्वस कर दी गई । यह संक्षिप्त में विजयनगर राज्य का इतिहास है ।
अब संग्रहीत लेखों में इस राज्य के जो उल्लेख आये हैं उन्हें देखिये ।
इस राजवंश के सम्बन्ध का सबसे प्रथम और सबसे महत्व का लेख नं० १३६ ( ३४४ ) ( शक १२-९० ) का है जिसमें बुक्कराय प्रथम द्वारा जैन और वैष्णव सम्प्रदायों के बीच शान्ति और संधि स्थापित किये जाने का वर्णन है । वैष्णवों ने जैनियों के अधिकारों में कुछ हस्तक्षेप किया था। इसके लिये जैनियों ने नरेश से प्रार्थना की। नरेश ने जैनियों का हाथ वैष्णवों के हाथ पर रखकर कहा कि धार्मिकता में जैनियों और वैष्णवों में कोई भेद नहीं है। जैनियों को पूर्वतत् ही पश्चमहावाद्य और कलश का अधिकार है। जैन दर्शन की हानि व वृद्धि को वैष्णवों को अपनी ही हानि व वृद्धि समझना चाहिए । श्री वैष्णवों को इस विषय के शासन समस्त बस्तियों में लगा देना चाहिए । जब तक सूर्य और चन्द्र हैं तब तक वैष्णव जैन धर्म की रक्षा करेंगे । इसके अतिरिक्त लेख में कहा गया है कि प्रत्येक जैन गृह से कुछ द्रव्य प्रति वर्ष एकत्रित किया जायगा जिससे बेल्गाल के देव की रक्षा के लिये बीस रक्षक रक्खे जावेंगे व शेष द्रव्य मंदिरों के जीर्णोद्धारादि में खर्च किया जावेगा। जो इस शासन का उल्लघन करेगा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org