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विजयनगर जब सन् १३२७ ईस्वी में मुहम्मद तुगलक ने होय्साल राज्य का पूर्ण रूप से सत्यानाश कर डाला और होय्सल राज्य को अपने साम्राज्य में मिला लिया तब दक्षिण के अन्य राज्य सचेत हुए। वे सब दो वीर योधाओं के नायकत्व में एकत्र हुए। इन वीर योधाओं, जिनके वश आदि का विशेष कुछ पता नहीं चलता, ने थोड़े ही वर्षों में एक राज्य स्थापित किया जिसकी राजधानी उन्होंने विजयनगर बनाई। उक्त दोनों वोरों के नाम क्रमशः हरीहर और बुक्क थे और वे दोनों भ्राता थे। इन्होंने मुसलमानों के बढ़ते प्रवाह को रोक दिया। इसी समय दक्षिण में मुसलमानों ने बहमनी राज्य स्थापित किया जिसकी राजधानी गुलबर्गा थो। अब दक्षिय में ये दोनों राज्य ही मुख्य रहे और दोनों प्रापस में लगातार झगड़ते रहे। सन् १४८१ के लगभग बहमनी राज्य बरार, विदर, अहमदनगर, गोलकुण्डा और बोजापुर इन पांच भागों में बट गया। विजयनगर नरेशों का झगड़ा बीजापुर के आदिल शाहों से चलता रहा। इनमें अधिकतः विजयनगर विजयी रहता था क्योंकि उक्त पाँचों मुसलमानी राज्यों में द्वेष था। अन्त में मुसलमानी राजाओं ने अपनी भूल पहचान ली। वे सन् १५६५ में एक होकर तालीकोटा के मैदान पर इकट्ठे हुए
और यहाँ दक्षिण भारत में हिन्दू साम्राज्य का निपटारा सदैव के लिये हो गया। विजयनगर-नरेश रामराय कैद कर लिये
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