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होय्सलवंश शिकारपुर १६७ ) लेख नं. ४६५ में बल्लालदेव के समय में अपने गुरु श्रीपाल योगीन्द्र के स्वर्गवास होने पर वादिराजदेव के परवादिमल्ल जिनालय निर्माण कराने व भूमिदान देने का उल्लख है।
इस राज्य का अन्तिम लेख नं० १२८ (३३३) ( शक ११२८) का है जिसमें वीर बल्लालदेव के कुमार सोमेश्वरदेव
और उनके मत्री रामदेव नायक का उल्लेख है। इतिहास में कहीं अन्यत्र बल्लालदेव के सोमेश्वर नामक पुत्र का कोई उल्लेख नहीं पाया जाता। कुछ विद्वानों का अनुमान है कि सम्भवत: नरेश का कोई प्रतिनिधि ही यहाँ विनय से अपने को नरेश का पुत्र कहता है। (लेख के सारांश के लिये देखो नं० १२८)।
बल्लाल द्वितीय के पुत्र नारसिंह द्वितीय के समय का एक ही लेख इस संग्रह में आया है। लेख नं० ८१ ( १८६) में कहा गया है कि पृथ्वीवल्लभ महाराजाधिराज परमेश्वर नारसिंह के राज्य में पदुमसेट्टि के पुत्र व आध्यात्मि बालचन्द्र के शिष्य गोम्मटसेट्टि ने गोम्मटेश्वर की पूजा के लिये बारह गद्याण का दान दिया।
नरसिंह द्वितीय के उत्तराधिकारी सोमेश्वर के समय का लेख नं० ४६६ (शक ११७० ) है। इसमें सोमेश्वर की विजय व कीति का परिचय उनकी उपाधियों में पाया जाता है। लेख में कहा गया है कि सोमेश्वर के सेनापति 'शान्त' ने
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