SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२ श्रवणबेलगोल के स्मारक ६५ (७४) में गङ्गराज के इन्द्रकुल गृह ( शासन बस्ति ) बनवाने का उल्लेख है। लेख नं. ७५ (१८०) और ७६ ( १७७ ) में गङ्गराज द्वारा गोम्मटेश्वर का परकोटा बन. वाये जाने का उल्लेख है। लेख नं. ४३ (११७ ), ४४ ( ११८), ४८ और ( १२८ ) गङ्गराज द्वारा निर्माण कराये हुए क्रमश: उनके गुरु शुभचन्द्र, उनकी माता पाचिकब्बे और भार्या लक्ष्मी के स्मारक हैं। लेख नं० १४४ ( ३८४ ) में गङ्गराज के वंश का बहुत कुछ परिचय मिलता है व लेख नं. ४४६ ( ३६७ ), ४४७ ( ३६८) और ४८६ (४००) में गडराज के ज्येष्ठ भ्राता बम्मदेव की भार्या जक्कणब्बे के सत्कार्यों का उल्लेख है। ये सब लेख्य विष्णुवर्द्धन नरेश के समय के व उस समय से सम्बन्ध रखनेवाले हैं इसी लिये इनका यहाँ उल्लेख करना आवश्यक हुआ। विष्णुवर्द्धन के समय के अन्य लेख इस प्रकार हैं। लेख नं. १४३ ( ३७७ ) में राजा के नाम के साथ ही गङ्गराज के नामोल्लेख के पश्चात् कहा गया है कि चलदङ्कराव हेडेजीय और अन्य सजनों ने कुछ दान किया। जान पड़ता है यह दान गोम्मटेश्वर के दायीं ओर की एक कंदरा को भरकर समतल करने के लिये दिया गया था। लेख नं० ५६ (१३२) में विष्णुवर्द्धन की रानी शान्तलदेवी द्वारा 'सवति गन्धवारण बस्ति' के निर्माण कराये जाने का उल्लेख है। इस लेख में मेघचन्द्र के शिष्य प्रभाचन्द्र की स्तुति, होयसल वंश की उत्पत्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy