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होय्सलवंश
८५ तक राज्य किया। इसके पश्चात् वीर बल्लाल के उत्तराधिकारियों ने होयसल राज्य को नवे वर्ष तक और कायन रक्खा। सन् १३१० ईस्वी में दक्षिण पर मुसलमानों की चढ़ाई हुई। दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजो के सेनापति म लेक काफूर ने होयसल राज्य को नष्ट भ्रष्ट कर डाला, होयसलनरेश को पकड़कर कैद कर लिया और राजधानी द्वारासमुद्र का भी नाश कर डाला। द्वारास मुद्र का पूर्णतः सत्यानाश मुसलमानी फौजों ने सन् १३२६-२७ में किया।
अब इस वंश के सम्बन्ध के जो उल्लेख संगृहीत लेखों में आये हैं उनका परिचय दिया जाता है ।
इस संग्रह में होयसलवंश के सबसे अधिक लेख हैं ।ले व नं० ५३ (१४३), ५६ ( १३२ ), १४४ ( ३४८) व ४६३ में विनयादित्य से लगाकर विष्णुवर्धन तक; लेख नं १३७ (३४५) और १३८ ( ३४६) में विनयादित्य से नारसिंह (प्रथम ) तक व १२४ ( ३२७), १३० (३३५) और ४६१ में विनयादित्य से बल्लाल (द्वितीय) तक की वंशपरम्परा पाई जाती है। नं. ५६ (१३२) में इस वंश की उत्पत्ति का इस प्रकार वर्णन पाया जाता है-"विष्णु के कमलनाल से उत्पन्न ब्रह्मा के अत्रि, अत्रि के चन्द्र, चन्द्र के बुध, बुध के पुरूरव, पुरूरव के आयु, आयु के नहुष, नहुष के ययाति व ययाति के यदु नामक पुत्र उत्पन्न हुए। यदु के वंश में अनेक नृपति हुए। इस वंश के प्रख्यात नरेशों में एक सल नामक नृपति हुए। एक
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