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श्वास और स्वास्थ्य ७५
का सम्यक् प्रयोग करें, विश्राम मिलेगा । किसी घटना से मस्तिष्क अस्त-व्यस्त हो गया है । दस मिनट तक मंद श्वास का प्रयोग करें, अस्त-व्यस्तता कम हो जाएगी । अनुभव होगा कि किसी शामक औषध का प्रयोग कर लिया गया है।
आवेग और श्वास
आवेग, अत्तेजना आदि का नियंत्रण श्वास से हो सकता है । यह अनुभूत तथ्य है कि जब आवेश या आवेग आता है तब श्वास असंतुलित हो जाता है । श्वास को तीव्र किए बिना या असंतुलित किए बिना कोई संवेग नहीं आ सकता। संतुलित अवस्था में अथवा श्वास को संतुलित कर कोई आदमी क्रोध नहीं कर सकता । मंद श्वास करते ही संवेग लुप्त हो जाता है ।
प्रश्न पूछा जाता है कि आवेश या आवेग को कैसे कम करें ? दो प्रकार के उपाय हैं- एक है दीर्घकालिक और दूसरा है अल्पकालिक । अल्पकालिक उपाय यह है कि जैसे ही क्रोध आए, श्वास का संयम करो, श्वास को क्षण भर के लिए रोक दो | श्वास को रोकते ही कोई आवेश, चाहे फिर वह आवेश क्रोध का हो, कामवासना का हो या अन्य किसी संवेग का हो, टिक नहीं पाएगा । श्वास का संवर कर लेने पर किसी भी आवेश की यह ताकत नहीं है कि वह बाहर आ सके । इसलिए हम श्वास पर ध्यान दें । यदि संवेग का संतुलन और मस्तिष्क का नियंत्रण करना है तो श्वास-संयम बहुत आवश्यक है । श्वास संयम रक्तचाप को भी संतुलित करता है । दीर्घकालिक उपाय है दीर्घ-श्वास प्रेक्षा का नियमित अभ्यास ।।
आज अनेक प्रकार की थेरेपियां— चिकित्सा विधियां प्रचलित हैं । उनसे चिकित्सा की जाती है । आवश्यकता है कि श्वास-थेरेपी का विकास हो और रंगीन श्वास से रोग की चिकित्सा की जाए । अनुसंधान से इस प्रविधि में अनेक नए आयाम खुल सकते हैं और अनेक थेरेपियों से यह थेरेपी अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकती है ।
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