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७४ महावीर का स्वास्थ्य-शास्त्र
आधुनिक काल में स्वास्थ्य पर अनेक दृष्टियों से विचार किया गया । आहार, नींद, जीवन शैली आदि-आदि के आधार पर मनुष्य स्वस्थ कैसे रह सकता है, इस पर गंभीरता से विमर्श हुआ है, किन्तु स्वास्थ्य का जो प्रधान तत्व है श्वास, उसकी उपेक्षा कर दी गई । श्वास यदि असंतुलित है तो स्वास्थ्य कभी संतुलित नहीं हो सकता । श्वास हमारे शरीर में रंगों का संतुलन पैदा करता है । रंग स्वास्थ्य के घटक हैं ।
___ अन्तःस्रावी ग्रन्थियों तथा नाड़ीतंत्र का सम्बन्ध श्वास के साथ है । जब रंगों का संतुलन होता है तब अन्तस्रावी ग्रन्थियों का स्राव संतुलित होता है। रंगों का संतुलन नाड़ीतंत्र को भी स्वस्थ रखता है | ऑक्सीजन और रक्त की सबसे अधिक आवश्यकता मस्तिष्क को रहती है । उसको बीस प्रतिशत रक्त और ऑक्सीजन चाहिए | इनका वाहक है श्वास । श्वास ही पूरे शरीर में ऑक्सीजन और रक्त का वितरण करता है ।
कायोत्सर्ग और श्वास
श्वास सम्बन्धी अनेक प्रयोग हैं लयबद्ध श्वास, दीर्घ श्वास आदि-आदि । दीर्घ श्वास अर्थात् लंबा श्वास । कायोत्सर्ग की प्रक्रिया में स्थान-स्थान पर बतलाया गया है कि श्वास मंद हो, निःश्वास भी मंद हो । श्वास की गति छोटी न हो, लंबी हो । दीर्घ श्वास या मंद श्वास दोनों एक ही हैं । श्वास मंद नहीं है तो कायोत्सर्ग सधेगा नहीं । कायोत्सर्ग में श्वास मंद होता है और मंद श्वास में ही कायोत्सर्ग होता है। तेज श्वास में कायोत्सर्ग सफल नहीं होगा, शिथिलता नहीं आएगी । कायोत्सर्ग का पैरामीटर है श्वास । श्वास सम्यग् है तो कायोत्सर्ग सम्यग् होगा । यदि श्वास सम्यग् नहीं है तो कायोत्सर्ग सम्यग् नहीं होगा । ____ ऑक्सीजन की पूर्ति का साधन है श्वास और वह श्वास, जो दीर्घ हो, मंद हो, लंबा हो । मस्तिष्क और शरीर को विश्राम देने का साधन है श्वास । जो कार्य शामक औषधियां नहीं कर पाती, वह कार्य श्वास कर डालता है। श्वास की गति ठीक नहीं है तो शायद औषधियां बढ़ती चली जाएगी, उनकी कार्यजा शक्ति न्यून हो जाएगी । थकान है, मस्तिष्क में परेशानियां हैं, श्वास
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