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६४ महावीर का स्वास्थ्य-शास्त्र
श्रम स्वास्थ्य के लिए परम आवश्यक तत्व है । श्रम के बिना रक्त का संचार भी नहीं होता और व्यक्ति स्वस्थ नहीं रह पाता | महावीर ने रोग का एक कारण बताया अत्यशन अर्थात् अत्यधिक खाना । अत्यधिक बैठे रहना भी रोग का एक कारण है। कुछ लोग सात-आठ घण्टा बैठे रहते हैं। वे श्रम से जी चुराते हैं और रोग से आक्रान्त हो जाते है ।
अनिद्रा : अतिनिद्रा
अनिद्रा या अतिनिद्रा भी रोग का कारण बनती है । नींद स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, अनिवार्य है । इसलिए अनिद्रा और अतिनिद्रा से बचना चाहिए, संयमित निद्रा लेनी चाहिए । आयुर्वेद में भी अतिनिद्रा से होने वाली हानियों का उल्लेख है | उसमें दिवा-शयन-दिन में सोने का निषेध है । आयुर्वेद के अनुसार नींद और कफ का सम्बन्ध है । योग के अनुसार विचार करने पर यह तथ्य सामने आता है कि अतिनिद्रा से आयु घटती है । नींद में श्वास की संख्या बढ़ जाती है | ज्यादा नींद लेने वाला जीवनी शक्ति को कम करता है | अति जागरण भी रोग का एक कारण है ।
वाणी का असंयम
वाणी का असंयम भी रोग पैदा करता है | इससे भी जीवनी शक्ति अधिक खर्च होती है । जैविक शक्ति के क्षरण के तीन मुख्य साधन हैआंख, वाणी और जननेन्द्रिय । अंगुलियों से भी विद्युत् निकलती हैं । जिन लोगों ने आभामण्डल को देखा है या आभामण्डल को जो देखना जानते हैं उन्हें ज्ञात है कि अंगुलियों से विद्युत् का प्रवाह निकलता है । अधिक बोलने वाला अपनी जीवनी शक्ति का अत्यधिक क्षरण करता है ।
अब्रह्मचर्य ___अब्रह्मचर्य भी रोग का प्रमुख साधन है । जीवन के तीन आलंबन हैंब्रह्मचर्य, आहार और निद्रा । काम की अति, आहार की अधिकता और नींद की अधिकता- तीनों रोग के कारण बनते हैं | इन सब पर नियंत्रण करना
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