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जीवन शैली और स्वास्थ्य ६३ संयम का अर्थ
मस्तिष्क का एक भाग है- लिम्बिक सिस्टम । यहां भावनाएं उपजती हैं। सुख-दुःख, प्रसन्नता आदि की अनुभूति होती है । जब तक लिम्बिक सिस्टम पर नियंत्रण नहीं होता तब तक भावनाओं पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता । मस्तिष्क भाव-नियंत्रण का नियामक साधन है ।
मस्तिष्क पर नियंत्रण के अभाव में न आहार संयम हो सकता है और न अन्य संयम ही हो सकता है । लोग जानते हैं कि तम्बाकू का सेवन करना, जर्दा खाना, मद्यपान करना आदि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है पर वे छोड़ नहीं पाते । इसका स्पष्ट हेतु है कि उनका अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण नहीं है । यदि मस्तिष्क पर नियंत्रण हो जाए तो वह एक क्षण में छूट जाता है।
रोग उत्पत्ति के हेतु
भगवान् महावीर ने रोग की उत्पत्ति के नौ कारण बतलाए
(१) अच्चासणयाए, (२) अहितासणयाए, (३) अतिणिद्दाए, (४) अतिजागरितेणं, (५) उच्चारणिरोहेणं, (६) पासवणणिरोहेणं, (७) अद्धाणगमणेणं, (८) भोयणपडिकूलताए (९) इंदियत्थविकोवणयाए
१. अत्यधिक भोजन २. अहितकर भोजन ३. अतिनिद्रा ४. अतिजागरण ५. मल बाधा को रोकना ६. मूत्र बाधा को रोकना ७. पंथगमन ८. प्रतिकूल भोजन तथा ९. इन्द्रियार्थ-विकोपन ।
भोजन
पहला कारण है—अहितकर भोजन करना । भोजन में खान-पान की सभी वस्तुएं आ जाती हैं । तम्बाकू, जर्दा, शराब आदि वस्तुओं का बार-बार खाना भी रोग का हेतु है | अधिक वस्तुओं का उपयोग करना भी रोग का हेतु है । मनुष्य यह जानता है, पर वह आहार का संयम कर नहीं पाता । आहार का संयम इसलिए नहीं हो पाता कि मस्तिष्क पर नियंत्रण नहीं है। यदि मस्तिष्क पर नियंत्रण होता है तो तत्काल आहार का संयम हो सकता
है।
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