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जीवन शैली और स्वास्थ्य
जीवन का प्रत्यक्ष सम्बन्ध शरीर से तथा परोक्ष सम्बन्ध मन के अनेक उपादानों और निमित्तों से है । भगवान् महावीर ने जिन तत्वों का प्रतिपादन किया, उनमें प्रधान तत्व है—संयम । महावीर के इस दृष्टिकोण के अनुसार जीवन शैली संयम प्रधान होनी चाहिए । समता, संतुलन आदि अनेक तत्व हैं । इन सबका सम्बन्ध है संयम से | सभी व्यक्ति समता, संतुलन आदि चाहते हैं किन्तु जब तक संयम की साधना नहीं होती, तब तक न समता आती है, न उपशम आता है और न संतुलन आता है । सामान्यतः संयम का अर्थ बहुत सीमित समझा जाता है । हमें उसे व्यापक अर्थ में समझना होगा । यही समझा जाता है कि किसी विशेष प्रकार का व्रत लेना संयम है । पतंजलि के अनुसार संयम का अर्थ है-- धारणा, ध्यान और समाधितीनों का एकत्र योग । कोरी धारणा, कोरा ध्यान अथवा कोरी समाधि संयम नहीं है । तीनों का एकत्र योग संयम है । आधुनिक परिप्रेक्ष्य में महावीर द्वारा प्रतिपादित संयम का अर्थ है मस्तिष्कीय नियंत्रण | जब तक मस्तिष्क के अनेक प्रकोष्ठों, उनके संबंधों या विभागों पर विचार न करें तो समता, उपशम और संतुलन की साधना नहीं हो सकती । मस्तिष्क का एक भाग है— इमोशनल ब्रेन | इसका संबंध इमोशंस से है । उपशम, कषाय-विजय आदि तभी संभव है जब इमोशनल ब्रेन पर नियंत्रण होता है ।
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