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________________ ४२ महावीर का स्वास्थ्य-शास्त्र भाषा पर्याप्ति और स्वास्थ्य भाषा पर्याप्ति और मनः पर्याप्ति इन दो पर्याप्तियों पर विचार करें । वैसे भाषा पर्याप्ति के साथ स्वास्थ्य का सीधा सम्बन्ध प्रतीत नहीं होता किन्तु भाषा-तंत्र भी बहुत प्रभावित करता है । यदि हम भाषा पर्याप्ति को ज्यादा काम में लेंगे तो समस्या पैदा हो जायेगी । भाषा पर्याप्ति की जितनी सक्रियता है काम करने की जितनी क्षमता है, यदि व्यक्ति उससे ज्यादा बोलता चला जाए तो जीवनी शक्ति कम होगी, स्वास्थ्य प्रभावित हो जाएगा इसीलिए वाणी संयम का विधान किया गया । कहा गया-तुम भाषा पर्याप्ति से भी अतिरिक्त काम मत लो । जो पशु दो क्विंटल भार उठाता है, उस पर पचास क्विंटल भार मत लादो । उतना ही भार लादो जितना सामान्यतः वह उठा सके । आदमी इतना ज्यादा बोलता है, इतना अनावश्यक बोलता है कि भाषा पर्याप्ति प्रभावित हो जाती है । भाषा पर्याप्ति का काम है पुद्गलों को ग्रहण करना । वह ग्रहण और विसर्जन आखिर कितना करेगा । स्वास्थ्य और संयम आहार पर्याप्ति को भी विश्राम की जरूरत है इसीलिए कहा गया-आहार का संयम करो, सारे दिन मत खाते रहो । शरीर-पर्याप्ति को भी विश्राम की जरूरत है इसलिए सारे दिन प्रवृत्ति मत करो । इन्द्रिय पर्याप्ति को भी विश्राम की जरूरत है इसलिए सारे दिन इन्द्रियों से काम मत लो । श्वास को भी विश्राम की जरूरत है इसलिए जल्दी जल्दी श्वास मत लो, इसको भी विश्राम दो । श्वास लेना जरूरी तो है, क्योकि श्वास के बिना आदमी जीवित नहीं रह सकता । एक आदमी मर गया । दूसरे ने पूछा- भई ! कैसे मरा ? बोलातुम जानते नहीं हो, वह बड़ा भुलक्कड़ था । लगता है श्वास लेना भूल गया और मर गया । ... यह नहीं कहा जा सकता कि श्वास मत लो किन्तु यह विवेक अवश्य जागना चाहिए- श्वास को भी विश्राम दो, श्वास का भी संयम करो | कभीकभी श्वास को रोक लो । जो व्यक्ति श्वास का संयम करता है, उसकी जीवनी-शक्ति बढ़ती है | अपने आवेशों के द्वारा श्वास को इतना वेग मत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003146
Book TitleMahavira ka Swasthyashastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size7 MB
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