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पर्याप्ति और स्वास्थ्य ४१
श्रवण का केन्द्र ही नहीं है, नशे की आदत को बदलने का भी यह एक बहुत बड़ा केन्द्र है ।
प्रेक्षाध्यान में पांचों इन्द्रियों पर ध्यान कराया जाता है । पर्याप्तियों की ध्यान विधि भी विकसित है किन्तु प्रयोग अभी नहीं कराया गया है । आहारपर्याप्ति, शरीर पर्याप्ति के साथ इन्द्रिय पर्याप्ति पर भी ध्यान देना अपेक्षित है | आप स्वस्थ रह सकते हैं, यदि इन्द्रियां स्वस्थ हैं । आप पांच मिनट आँख पर ध्यान करें। पांच मिनट कान पर ध्यान करें । दस मिनट नाक पर ध्यान करें। आपको अनेक कठिनाइयों से, शारीरिक बीमारियों से भी छुटकारा मिल जाएगा । यह एक अनुभूत प्रयोग है ।
श्वास पर्याप्ति और स्वास्थ्य
चौथी पर्याप्ति है श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति । उसका स्वास्थ्य के साथ संबंध बहुत प्रत्यक्ष है । उसके विषय में अधिक चर्चा करना आवश्यक नहीं लगता । जिस व्यक्ति ने सम्यक् श्वास का प्रयोग किया है, श्वास पर्याप्ति को ठीक संभालकर रखा है वह काफी कठिनाइयों से बचा है । सम्यक् श्वास श्वास पर्याप्ति का कार्य है । उसमें बाधा न पहुंचाए। उसकी कुछ बाधाएं हैं, उनका निषेध भी किया गया है । भोजन पहली बाधा है । न ज्यादा गर्म और न ज्यादा ठण्डा भोजन लें। जहां भी ज्यादा गर्म और ज्यादा ठण्डा भोजन होता है, श्वास की क्रिया प्रभावित होती है । भोजन पर ध्यान देने से श्वास-पर्याप्ति की सुरक्षा होती है । जो व्यक्ति ज्यादा गुस्सैल है, क्रोधी है, वह श्वास-पर्याप्ति को भी अव्यवस्थित कर देता है । इमोशन का, श्वास की प्रबलता का श्वासपर्याप्ति पर बहुत प्रभाव पड़ता है । श्वास लेने की हमारी सामान्य विधि हैएक मिनट में पन्द्रह श्वास लें । दो सैकण्ड में एक श्वास लिया और दो सैकण्ड में रेचन किया । चार सैकण्ड में एक श्वास – यह एक सामान्य विधि है । जब आवेश की प्रबलता होती है श्वास की संख्या पन्द्रह से बढ़कर बीस, तीस और चालीस तक हो जाती है । इससे श्वास-पर्याप्ति गड़बड़ा जाती है और जीवनी-शक्ति भी नष्ट होती है ।
आहार -पर्याप्ति, शरीर पर्याप्ति, इन्द्रिय-पर्याप्ति और श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति – ये सब हमारे स्वास्थ्य के मौलिक आधार हैं ।
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