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पर्याप्ति और स्वास्थ्य ३७ पाचनतत्र के द्वारा पाचन होता है । इस सदर्भ में बतलाया गया-आहार पर्याप्ति के द्वारा खलरसीकरण होता है । खलरसीकरण को वर्तमान की भाषा में चयापचय की क्रिया समझा जा सकता है । खल को निकाल देना, अलग कर देना और रस को आत्मसात् कर लेना—यह खलरसीकरण की क्रिया, चयापचय की क्रिया आहार-पर्याप्ति के द्वारा होती है । ये दो पर्याप्तियां हमारी जीवनी शक्तियां हैं ।
जीवन का मूलभूत आहार
जीवन का मूल आधार है- आहार पर्याप्ति और शरीर पर्याप्ति । कौन व्यक्ति कितना जीएगा, उसका दायित्व आहार पर्याप्ति पर है । थायराइड और आहार पर्याप्ति में गहरा सम्बन्ध है । जितनी आहार पर्याप्ति है, व्यक्ति उतना जीएगा। आहार पर्याप्ति अपना काम करना बंद कर देगी तो आदमी की मृत्यु हो जाएगी । कोशिका के लिए चयापचय की क्रिया निर्धारित है, संख्या निर्धारित है। जब तक कोशिका में पुनर्जनन की क्रिया होती रहेगी तब तक कोशिका जीवित रहेगी, पुनर्जनन की क्रिया बंद हुई और कोशिका बिल्कुल मर जायेगी। इसका सम्बन्ध आहार पर्याप्ति के साथ है । एक पारिभाषिक शब्द है ओज आहार । मूलभूत आहार है ओज आहार । एक आहार होता है कवल आहार । हम जो भोजन करते हैं, वह कवल द्वारा करते हैं | एक आहार होता है रोम आहार । जिसे हम रक्त के द्वारा, शरीर की त्वचा के द्वारा ग्रहण करते हैं। ओज आहार मूल आहार है । जब हमारा जन्म होता है, जीवन के प्रारंभिक क्षण में जिस आहार का ग्रहण होता है, वह ओज आहार है । यह जब तक रहता है तब तक व्यक्ति जिन्दा रहता है । ओज आहार के समाप्त होते ही आदमी मर जाता है । आहार पर्याप्ति और ओज आहार इन दोनों में गहरा सम्बन्ध है ।
केन्द्र हैं मस्तिष्क में
इन्द्रिय पर्याप्ति का केन्द्र हमारे मस्तिष्क में है । श्रवण और चक्षु के केन्द्र भी हमारे मस्तिष्क में बने हुए हैं । श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति का मूल केन्द्र मष्तिष्क में है । इसका कार्य-संचालक केन्द्र रेस्पिरेटरी सिस्टम-श्वसनतंत्र को
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