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पर्याप्ति और स्वास्थ्य
कुछ विद्वानों ने स्वास्थ्य पर प्रत्यक्षतः विचार किया और कुछ विद्वानों ने अन्य तत्वों पर विचार किया इसलिए स्वास्थ्य के तत्व अनेक हो गए। शरीर पर हजारों वर्षों से विचार हो रहा है । वर्तमान शरीर-शास्त्रियों ने शरीर के सूक्ष्मतम रहस्यों को प्रगट करने का प्रयत्न किया है । अतीत में जाएं तो योग के आचार्यों ने शरीर पर बहुत विचार किया । योग की एनॉटोमी स्वतंत्र बन गई । योग का अपना शरीर शास्त्र है । तत्त्ववेत्ताओं ने शरीर पर विचार किया तो उनका भी एक शरीरशास्त्र बन गया । अनके ग्रंथ हैं इसलिए अनेक धारणाएं और अवधारणाएं शरीर के विषय में हैं ।
शरीर और स्वास्थ्य
आज हम भगवान महावीर की वाणी और स्वास्थ्य पर विचार कर रहे हैं। महावीर ने पांच प्रकार के शरीर बतलाए
1. औदारिक शरीर, 2. वैक्रिय शरीर, 3. आहारक शरीर 4. तैजस शरीर, 5. कार्मण शरीर ।
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