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चित्त, मन और स्वास्थ्य
स्वस्थ महावीर का शरीर बहुत दृढ़ था, वज्र ऋषभनाराच संहनन से युक्त था । उनका स्वास्थ्य बहुत बलवान् था इसीलिए वे इतनी कठिनाइयों, समस्याओं को झेल सके, इतने उपसर्गों को सहन कर सके । शरीर मजबूत होता है, स्वस्थ होता है तो बहुत सारी स्थितियों को झेला जा सकता है और चेतना भी ठीक काम करती है । भगवान् की स्तुति में एक बहुत मार्मिक बात कही गई
वपुरेव तवाचष्टे, भगवन् ! वीतरागताम् ।
न हि कोटरसंस्थेग्नौ, तरुर्भवति शाद्वलः ।। भगवन् ! आपका शरीर ही बता रहा है कि आप वीतराग हैं । अन्य साक्षी की जरूरत ही नहीं है । दृष्टान्त की भाषा में इसका समर्थन किया गया-- जिस तरु के कोटर में आग लगी हुई है, क्या वह हरा-भरा वृक्ष होगा? जिसके कोटर में आग लग रही है, वह वृक्ष कभी हरा-भरा रह नहीं सकता। यदि आपके भीतर कषाय, राग-द्वेष, क्रोध, विकार- ये प्रबल होते तो आपका शरीर इतना मजबूत नहीं होता । आपका शरीर स्वस्थ है और वह यह बता रहा है कि आपके भीतर सब कुछ शान्त है । कोई उत्तेजना नहीं है, क्रोध नहीं है, आवेश और आवेग नहीं है, यह शरीर स्वयं साक्षी दे रहा है।
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