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अस्तित्व और स्वास्थ्य ५
बिहेवियर साइकोलॉजी (व्यवहार विज्ञान) का प्रश्न हो या शारीरिक चिकित्सा का प्रश्न-प्राण का संतुलन अपेक्षित है । वह इन सबकी सम्यक सक्रियता का हेतु बनता है । आप कार को चलाना चाहते हैं किन्तु यदि भीतर पैट्रोल नहीं है तो आप धक्का देकर कब तक चलाएंगे ? आप कितना ही श्रम करें, ईंधन के बिना कार चलेगी नहीं । प्राण हमारा जीवन है । इसके द्वारा संचालित है जीवन । हृदय रोग क्यों होता है ? इसके अनेक कारण हैं किन्तु प्राण नामक जो प्राण है, वह सही काम कर रहा है तो हृदय को मजबूती मिलेगी, वह कमजोर नहीं होंगा । यदि वह प्राण सही काम नहीं कर रहा है तो अवसाद की स्थिति बनी रहेगी | नेपाल के एक भाई ने कहा-- महाराज ! मैंने हार्ट.की बाईपास सर्जरी करा ली फिर भी उदासी, बेचैनी और सुस्ती निरन्तर बनी रहती है । स्थिति यह है- मैं ग्यारह बजे से पहले उठ ही नहीं पाता । ऐसा लगता है-जीवन में कोई सक्रियता नहीं है, प्रसन्नता नहीं है | बहुत परेशानी का जीवन जी रहा हूं । मैंने कहा- तुम केवल दवा के भरोसे मत रहो, साथ में कुछ प्रयोग करो । दीर्घ श्वास प्रेक्षा और कायोत्सर्ग करो । भाई ने वे प्रयोग किए । वह बहुत प्रबुद्ध और सम्पन्न था । तीसरे दिन उसने कहा- 'महाराज ! आज अनेक महीने बाद मैं प्रातः सात बजे उठ पाया हूं । इन तीन दिनों के प्रयोग से मुझे पच्चीस प्रतिशत लाभ की अनुभूति हो रही है । मेरी प्रसन्नता बढ़ी है, मानसिक व्यग्रता कम हुई है ।'
क्या ऐसा हो सकता है ? जो लाभ महीनों तक दवा लेने से नहीं हुआ, वह तीन दिन के प्रयोग से कैसे संभव हो गया ? कारण यही है-- जब प्राण प्राण पर्याप्त रहेगा, श्वास की क्रिया सम्यक् रहेगी तब हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलेगा, उसकी सक्रियता और स्वस्थता बनी रहेगी। राजस्थान के एक राजनीतिज्ञ बाईपास सर्जरी कराने के लिए अमेरिका गए । बाईपास सर्जरी हो गई । डॉक्टर ने कहा- आपने बहुत अच्छा श्वास लिया । क्या आप लंबा श्वास लेना जानते हैं ? राजनेता ने कहा-मैं प्रेक्षाध्यान का अभ्यासी हूं। मैंने दीर्घश्वासप्रेक्षा का प्रयोग किया है इसलिए मैं लंबा श्वास लेना जानता हूं ।
प्राण और स्वास्थ्य
श्वास-प्राण का प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण प्रयोग है । प्राण संतुलन के साथ
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