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१०८ महावीर का स्वास्थ्य-शास्त्र
विकसित होती है अल्फा तरंग
__ भगवान् महावीर का एक वचन बहुत महत्वपूर्ण है-कायोत्सर्ग सब दुःखों का मोक्ष करने वाला है, सब दुःखों से छुटकारा देने वाला है । यह एक छोटा सा सूत्र है, पर इसकी मर्मस्पर्शी व्याख्या करना बड़ी कठिन बात है । कायोत्सर्ग सब दुःखों से छुटकारा कैसे दे सकता है ? यदि विज्ञान के संदर्भ में इसे हम समझने का प्रयत्न करें तो बात कुछ समझ में आ सकती है । मस्तिष्क की कई तरंगें हैं अल्फा, बीटा, थीटा, गामा आदि । जब-जब अल्फा तरंग होती है, मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है, शान्ति प्रस्फुटित होती है | कायोत्सर्ग की स्थिति में अल्फा तरंग को विकसित होने का मौका मिलता है । कायोत्सर्ग किया और अल्फा तरंगें उठने लग जाएगी, मानसिक तनाव घटना शुरू हो जाएगा । ई. सी. जी. करने वाला निर्देश देता है कि शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ कर सो जाओ । दांत निकालते समय डाक्टर सुझाव देता है कि जबड़े को बिल्कुल ढीला छोड़ दो । जबड़ा भींचा रहा तो दांत नहीं निकल पाएगा और दर्द भी ज्यादा होगा । दर्द को मिटाना है, दर्द को कम करना है तो कायोत्सर्ग अनिवार्य है।
तनाव और दर्द
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हम इसकी व्याख्या करें । अभी जो नई खोज हुई है, वह यह है कि रसायन के द्वारा हम पीड़ा को दूर कर सकते हैं । हमारे मस्तिष्क में, सुषम्ना में अनेक रसायन पैदा होते हैं, जो पीड़ा को कम कर देते हैं । जब-जब व्यक्ति गहरी भक्ति में जाता है, वैराग्य भावना बढ़ती है, ध्यान की गहरी स्थिति बनती है, वह रोगजनित पीड़ा को भूल जाता है | यही पीड़ा-शामक दशा बनती है कायोत्सर्ग की स्थिति में । कायोत्सर्ग की स्थिति में हर पीड़ा कम हो जाएगी। इस संदर्भ में महावीर का यह वचन'कायोत्सर्ग सब दुःखों को शान्त करनेवाला है'-कितना मूल्यवान और महत्वपूर्ण है । जहां भी तनाव आएगा, दर्द बढ़ जाएगा। तनाव और दर्द का गहरा संबंध है । जैसे ही तनाव कम होगा, पीड़ा कम हो जाएगी। शरीर को ढीला करो, शिथिल करो, पीड़ा विलीन हो जाएगी । जो रसायन हमारे शरीर में
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