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________________ योगासन और स्वास्थ्य ८७ का दृष्टिकोण नहीं रहा, यह नहीं कहा जा सकता । जहां कायसिद्धि का प्रश्न है, वहां स्वास्थ्य जरूरी है । स्वास्थ्य के बिना कायसिद्धि संभव नहीं है । एक घण्टा, दो अथवा तीन घण्टे एक आसन में बैठना, जैसे गाय दुहते समय मनुष्य बैठता है, वैसी मुद्रा में रात भर बैठे रहना, ऊकडू आसन में पूरी रात रहनायह स्वास्थ्य के बिना संभव नहीं है । यदि स्वास्थ्य अच्छा है तो व्यक्ति ऊकडूं आसन में चार प्रहर तक बैठ सकता है, छह प्रहर तक बैठ सकता है । यह विधान रहा- मुनि खुली जमीन पर न बैठे । आसन बिछाकर बैठे अथवा ऊकडूं आसन में ही बैठे । जिसके पास आसन नहीं है, वह ऊकडूं आसन में ही पृथ्वी पर बैठे । इस आसन में लंबे समय बैठना कितना कठिन काम है । यह आसन का विधान शरीर को साधने की दृष्टि से किया गया । कहा गया- शरीर को साधो, इतना साधो कि वह तुम्हें सताए नहीं, कोई कष्ट पैदा न करे । स्वास्थ्य के लिए तीन अनिवार्य शर्ते मानी गई ० मस्तिष्क की आर्द्रता बराबर बनी रहे । जो मस्तिष्कीय मज्जा है, ग्रे-मैटर है, उसमें रूखापन न आए | ० सुषुम्ना अथवा मेरुदण्ड लचीला रहे । सुषुम्ना का भाग जितना लचीला होगा, उतना ही स्वास्थ्य अच्छा होगा । ० अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का स्राव संतुलित रहे । ये तीन बातें होती हैं तो मनुष्य स्वास्थ्य के बारे में निश्चित रह सकता है। जरूरी है स्नायविक तनाव स्नायविक तनाव देना भी बहुत जरूरी होता है । यदि स्नायविक तनाव अथवा खिंचाव नहीं दिया जाता है तो स्नायविक संतुलन सम्यक नहीं रह पाता। चाहे हाथ के स्नायु हैं, पैर के स्नायु हैं अथवा गर्दन के स्नायु हैं । यदि उन्हें खिंचाव अथवा श्रम नहीं किया दिया जाए तो वे अवयव निकम्मे हो जाएंगे । हाथ को खिंचाव न दें तो हाथ में अकड़न और ऐंठन हो जाती है। यदि पैर के स्नायुओं को खिंचाव न दिया जाए तो घुटनों का दर्द, संधिवात अपना अड्डा जमा लेता है । वर्तमान में फिजियोथेरेपी का जो प्रकल्प मेडिकल साइंस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003146
Book TitleMahavira ka Swasthyashastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size7 MB
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