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अध्यात्म के परिपार्श्व में
क्रोध नहीं किया जाता । इस प्रकार की भावना एकता, भाईचारा, विश्वमैत्री और विश्वबन्धुत्व की भावना ही कही जाएगी। गुरु नानक ने भी इसी भावना को प्रकट किया है
नानक नाम चढदी कला,
तेरे भाणे सर्वत्त का भला। यहां हिन्दू-मुसलमान का, निर्धन-धनी का, ऊंच-नीच का, ब्राह्मणशूद्र का कोई भी भेद नहीं रहता। जैनधर्म में सब प्राणियों को समान माना गया है। वहां जातीय भेदभाव की भावना नहीं है, मानवता की भावना है। महावीर का धर्म मानवतावादी धर्म है, वह एकता, समानता के बीच बहने वाली गंगा है-समता की गंगा है। सूत्रकृतांग' (१-१३-१०) में कहा गया
जे माहणे सत्तिय जायए वा, तहग्गपुत्त तह लेच्छई वा। जे पव्वइए परदत्तभोई, गोत्तण जे थब्भइ माणबद्धे ।।
अर्थात्-तुम ब्राह्मण, क्षत्रिय, उग्रपुत्र या लिच्छवि चाहे किसी भी जाति या कुल में उत्पन्न हुए पर अब तुम समता के शासन में प्रवजित हो, अहिंसक होने के कारण परदत्तभोजी हो फिर जाति या कुल का अभिमान कैसा ? विद्या और चरित्र के आचरण के द्वारा ही मनुष्य को त्राण मिल सकता है, जाति या कुल द्वारा त्राण नहीं मिल सकता । जैनधर्म 'जिनधर्म' है गोत्रतीत, जात्यतीत, सम्प्रदायातीत, कुलातीत है। समता-धर्म है । महावीर के धर्म में अर्थात् समता-धर्म में बड़ा-छोटा, नौकर-स्वामी, राजा-प्रजा कोई नहीं, सब समता का व्यवहार करने वाले होते हैं। यहां जाति की नहीं, गुणों की पूजा की जाती है, कुल-जाति का अभिमान हानिकारक है। महावीर ने सब लोगों को, सब धर्म के एवं सम्प्रदाय के अवलम्बियों को अपने 'समवसरण' में स्थान दिया, कोई भेदभाव नहीं रखा । आज हमारी आपदाओं की, दुःखों की, अशांति की वजह यही है कि हम जाति या कुल के अभिमान में डूबे हैं और सबको अपने से हीन समझते हैं । आज हम धन में-धनार्जन में इतने अंधे हो गए हैं कि पराए तो पराए, अपनों को भी नहीं पहचानते ; निर्धन को (चाहे अपना सगा भाई ही क्यों न हो) हीन समझते हैं, उसके यहां आनाजाना तक पसन्द नहीं करते । धनार्जनांधता ने मनुष्य को विवेकशून्य बनाकर छोड़ दिया है। जीवन-मूल्यों के बिना मनुष्य, मनुष्य नहीं चलता-फिरता शव दिखाई देता है । जैनधर्म जीवन-मूल्यों का धर्म है । वह हमें दया और अहिंसा की ओर ले जाता है। धर्म वही है। जो दया से विशुद्ध हो'धम्मो दयाविसुद्धो।' कुल या जाति के अभिमान को कबीर ने निन्दा की है। क्या शून्द्र और ब्राह्मण में रक्त अलग-अलग होता है, क्या ब्राह्मण में रक्त के बजाय दूध बहता है ?
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