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विश्व एकता
विश्व का आकाश एक है। उसके नीचे रहने वाले सभी मानव एक हैं। उनकी संस्कृति एक है। देश, काल एवं परिस्थितियों के प्रभाव से भिन्न देशों की संस्कृति में थोड़ा बहुत अन्तर अवश्य प्रतीत होता है परन्तु सुखद शांति के तत्त्व उसमें सुरक्षित हैं । 'वसुधैव कुटम्बकम्' यह संस्कृति का अत्यन्त उदार, सार्वभौम विकसित रूप है जहां उसमें एक ओर विश्व-मंत्री के भाव सुरक्षित हैं, वहां अहिंसा परम धर्म की प्रतिष्ठा भी है।
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