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एक ज्योतिर्मय युगद्रष्टा
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है । आवश्यकतानुसार शब्दकोष पर भी दृष्टि डाली जाती है । आगम चर्चा में सभी मुनियों को बोलने, अपनी बात कहने, अपनी जिज्ञासा व्यक्त करने, शंका समाधान करने की छूट है। युवाचार्य नोट्स लिखाते हैं । यह कार्य बहुत महत्वपूर्ण है। आचार्यश्री लोगों से भी मिलते रहते हैं, उनकी कुशल पूछते हैं । शान्त वातावरण में लोग दूर-दूर से आकर उनके दर्शन करते हैं। बिना रोक टोक के कोई भी वहां आ सकता है । आचार्यश्री का स्नेह शुभाशीष सबके लिए समान है। समताभाव में लीन रहने वाला यह कर्मयोगी, वीतरागी सन्त भारत का गौरव है।
आचार्यश्री की महानता इस बात में भी छिपी है कि वह एक सम्प्रदाय के न होकर सभी सम्प्रदाय के लोगों के हैं। तेरापन्थ के आचार्य होकर भी वे देश के आचार्य हैं, सभी जातियों के लोग उनका मान-सम्मान करते हैं । तेरापन्थ के नवम आचार्य श्री तुलसी द्वारा चलाया जा रहा 'अणुव्रत आन्दोलन' सर्वथा असाम्प्रदायिक है। उसने धर्म को वेशातीत तथा सम्प्रदायातीत रूप प्रदान किया है। यह एक आचार संहिता है जो पूर्णतः सार्वकालिक है, सार्वदेशिक है । यह हृदयपरिवर्तन या वैचारिक परिवर्तन का सिद्धान्त प्रस्तुत करने वाला आन्दोलन है । आचार्य भिक्षु ने जिस तेरापंथ का प्रवर्तन किया था उसके मूलाधार थे
(१) निष्कर्म (२) हृदय-परिवर्तन (३) सापेक्षता
आचार्यश्री तुलसी का अणुव्रत आन्दोलन मूलाधारों को अपने में आत्मसात किए है । यह आन्दोलन चरित्र-विकास का आन्दोलन है, जीवनमूल्य की पुनर्स्थापना का आन्दोलन है, फिर साम्प्रदायिक कैसे होगा ? आचार्य श्री ने अपने मुनियों को हरिजन-बस्ती में व्याख्यान देने भेजा। हरिजनों ने आचार्यश्री का चरण स्पर्शन किया। वे अगुव्रत आंदोलन से प्रभावित हुए और मांस-मदिरा का त्याग कर बैठे। एक बार उन्होंने कहा-''जातिवाद की तात्त्विकता को स्वीकारना मनुष्य के लिए लज्जा की बात है।" हरिजनों के मनोबल को बढ़ाते हुए उन्होंने कहा---''आप में जो स्वयं को हीन समझने की भावना घर कर गई है, यही आपके लिए अभिशाप है। जहां एक मनुष्य दूसरे मनुष्य के लिए अस्पृश्य या घृणा का पात्र माना जाये, वहां मानवता का नाश है । अपनी आदतों को बदलें। मद्य-मांस आदि बुरी वृत्तियों को छोड़ दें। जीवन में सात्त्विकता लायें ।" वस्तुतः अणुव्रत आंदोलन सात्त्विक आचरण के विकास का आंदोलन है, इसका सम्प्रदाय, धर्म, राजनीति से कोई सम्बन्ध नहीं है। आचार्यजी एक सम्प्रदाय के नायक हैं, लेकिन सांप्रदायिकता से वे बहुत ऊपर हैं । वे सच्चे-पक्के अर्थों में लोकनायक हैं।
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