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तीर्थंकरों की परम्परा और महावीर .
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पैदा करने पर बल दिया। महावीर ने कहा-'वस्तु के अनन्त धर्मों और पर्यायों को अनन्त चक्षुओं से देखो, उन्हें किसी एक चक्षु से मत देखो। जो व्यक्ति वस्तु-सत्य को एक चक्षु से देखता है, वह अपने स्वीकृत सिद्धांत का समर्थन और दूसरों की स्वीकृतियों का खण्डन करता है । अनेकांत का सिद्धांत पारस्परिक सौहार्द को बढ़ाता है, मनमुटाव, द्वेष-जलन को दूर करता है।
__ आज आणविक महायुद्ध हमारा द्वार खटखटा रहा है, उससे बचने के लिए हमें वैचारिक सहिष्णुता अहिंसा, अपरिग्रह के अस्त्र-शस्त्र उठाने पड़ेंगे, तभी मानवता का कल्याण होगा।
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