SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्यात्म के परिपार्श्व में महान् घटना है। पैगम्बर साहब मस्जिद अकसा से अर्श तक की लाखों कि. मी. की यात्रा कुछ क्षणों---मिनटों में कर लेते हैं । वहां वह अल्लाह का दीदार करते हैं, उनके दरबार में हाजिर होते हैं । उसी समय पांच वक्त की नमाज पढ़ना फर्ज की गई थी। नमाज अल्लाह और बन्दे के बीच सम्बन्ध स्थापित करने का माध्यम है, यह स्वर्ग की कुंजी है, पापक्षय करने वाली है। नमाज तर्क करना गुनाह है, यह किसी भी दशा में माफ नहीं। यात्रा, रोगावस्था, सभी दशाओं में नमाज अदा करने की आज्ञा दी गई है। नमाज मोमिन की मेराज है। वास्तव में नमाज से आदमी का तन-मन पाक, पवित्र हो जाता है। वह बुराई से बचाती है, भलाई की तरफ ले जाती है। पाक-साफ कपड़े पहनकर जब व्यक्ति नमाज पढ़ने खड़ा होता है तो मानो वह अपने रब-पालनहार के हुजूर में खड़ा होता है-विनम्र बनकर । उस समय मानो अल्लाह उसे देखता है, अब भला कौन-सा गुनाह, पापकर्म वह अल्लाह से छिपा सकता है ? अल्लाह तो उसकी शह रग के सन्निकट ही है । इस प्रकार अल्लाह के भय से कुकर्म से दूर रहेंगे और सत्कर्म करेंगे । कुरान ठीक कहता है--'इन्नसलाता तन्हा अनिलफहशाइ वलमुन्कर" (अल-अनकबूत, ४५) यानि नमाज इन्सार को बदी, बुराई व बेहयाई से रोकती है । यह भी नहीं है कि मनुष्य नमाज पढ़ने, इबादत करने में ही रात-दिन लीन रहे और अपने और हक, कर्त्तव्य पूर्ण न करे । खुदा साफ-साफ कहता है-"जब नमाज खत्म ो जाए तो जमीन में फैल जाओ, खुदा के फजल यानि हलाल अन्न (रोजी) की तलाश में दौड़-धूप करो और खुदा को अधिक मात्रा में याद (स्मरण) किया करो ताकि तुम्हें भलाईकल्याण नसीब हो ।" (अल-जुमा, १०) व्यक्ति जब नमाज पढ़ने खड़ा होता है तो सर्वप्रथम उसमें सेव्य भाव, भक्ति भाव उत्पन्न होता है । उसे बार-बार स्मरण कराया जाता है कि वह अल्लाह का बन्दा है, और हर काम में उसे बंदगी करनी है । इसके द्वारा उसमें अपने कर्तव्य को समझने का ज्ञान आता है। कर्तव्य चेतना का उदय होता है । वह पग-पग पर अल्लाह के प्रति अपने कर्तव्य का अनुपालन करता है। तीसरे, नमाज के द्वारा बन्दे को-भक्त को मानो अपने कर्तव्य को पूर्ण करने का अभ्यास कराया जाता है । बार-बार अभ्यास करने से मनुष्य का स्वभाव वैसा ही बन जाता यानि नमाज की पाबन्दी से अदायगी उसे 'नमाजी' बना देती है । जैसे घंटी बजते ही स्कूल में छात्रों की प्रार्थना, उपस्थिति, पढ़ाई शुरू होती है, पुलिस की, सेना की परेड एक आवाज से आरम्भ हो जाती है, उसी प्रकार कानों में 'अल्लाहो अकबर' (अल्लाह बड़ा महान् है), 'हैयालस्सलाह' (नमाज की तरफ आओ), 'हैयाललफलाह' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003145
Book TitleAdhyatma ke Pariparshwa me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNizamuddin
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy