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रमजान : जैन दर्शन के आलोक में
प्रति मैत्री भाव दर्शाते हैं, मंगल कामना करते हैं, क्षमायाचना करते हैंखामि सव्व जीवे मि सव्वे जीवा खमंतु मे ।
मिति मे सव्व भूयेसु वैरं मज्झ न केणई ॥
अर्थात् मैं सब जीवों को क्षमा करता हूं, सब जीव मुझे क्षमा करें । मेरी सबसे मित्र भाव है, मुझे किसी से बैर, द्वेषभाव नहीं है ।
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