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महावीर का धर्म : व्यावहारिक रूप
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आज विषमता के स्थान पर समता का प्रतिपादन करता । समता जैनधर्म काहार्द है और अनेकांतवाद वैचारिक समता का दर्शन है ।
आज संसार भौतिकता या अर्थवादी दृष्टि से दिशाभ्रम में पड़ा है । कहीं, किसी भी पल उसे शांति नहीं । अर्थलोभ में उसकी विवेकशीलता समाप्त हो गई है । जैनधर्म यह मानता है कि परिग्रहवादी को कभी मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती - " असंविभागी नह तस्स मोक्खो ।" धन ऐसी तृष्णा है जो जितनी बुझाई जाती है उतनी ही वह और तीव्र होती है, अर्थ से तृप्ति नहीं मिलती ।
जैनधर्म प्रवृत्तिवादी न होकर निवृत्तिवादी है, लेकिन जैन- समाज कुछ इसके विपरीत आचरण करता दिखाई देता है । वह एक धनी समाज है, देश के अर्थतन्त्र में उसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। धन का उचित व्यय किया जाना चाहिए, समाज देश हित में वह खर्च हो । तुलसीदासजी कहते हैं- "सो धन धन्य प्रथम गति जाकी" प्रथम गति का अर्थ यहां दान है । धन की तीन गतियां मानी गई हैं- दान, भोग और नाश । दान उत्तम है, भोग मध्यम है और नाश नीच गति है । जो पुरुष न देता है, न भोगता है, उसके धन की तीसरा गति होती है । जैनधर्म में धन-सम्पत्ति को अर्जित करना वर्जित नहीं माना, वह तो इसके अधिग्रह को परिमाण में, सीमा या संयम में बांधना चाहता है । महावीर ने 'भोगोपभोग व्रत' में जो आचार संहिता व्यक्त की है। उसका अर्थ ही है भोग की सीमा निश्चित करना, भोग पर नियंत्रण करना । 'भागवत' में कहा गया है
यावद् भ्रियेत जठरं तावत् सत्त्वं हि देहिनाम् । योऽधिकं चाभिमन्येत स स्तेनो वधमर्हति ॥
"
अर्थात् जितने से पेट भरा जा सके उस पर स्वामित्व करना विहित है, जो इससे अधिक संग्रह करता है वह चोर है, वह वध्य है ।
जैनधर्म के 'दशलक्षणपर्व' या 'पर्युषणपर्व' आराधना - साधना पर्व है इसमें तपस्या, ध्यान, स्वाध्याय आदि द्वारा आत्म-परिशोधन किया जाता है । इस पर्व पर वर्ष भर की भूलों के लिए क्षमायाचना करना और दूसरों की भूलों को क्षमा करने का संकल्प लिया जाता है । महात्मा बुद्ध ने क्षमा को बहुत महान माना है - " शत्रु को हानि पहुंचाकर आप उससे नीचे हो जाते हैं बदला लेकर बराबर हो जाते हैं, पर उसे क्षमा करके उससे ऊंचे हो जाते हैं ।" पैगम्बर मुहम्मद ने कहा है कि जो बदला न लेकर दूसरों को क्षमा करता है उसे अल्लाह पसन्द करता है, उसे अल्लाह भी बख्श देता है । उमास्वाती ने 'तत्त्वार्थसूत्र' में धर्म के दस लक्षणों का वर्णन इस प्रकार किया है—
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