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सामायिक : अर्थ और स्वरूप करना चाहिए, इसे जीना चाहिए, जीवन में उतारना चाहिए, मन्त्रों का जाप ही काफी नहीं, उनके अर्थ को, भाव को जानना भी महत्त्वपूर्ण है। सामायिक समत्व का भाव लेकर वर्तमान में जीने की साधना है, एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है।
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