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अध्यात्म के परिपार्श्व में
___ मन में समता भाव शल्य के अभाव को, निर्विकल्प को धारण करके सदा सामायिक कीजिए । भगवान महावीर सदैव समभाव के साधक रहे, अत: निर्भय रहे-"सामाइयमाह तस्स जं, जो अप्पाण भए ण दसए' (सूत्रकृतांग श२।२।१७) । उनका सफल जीवन समता के आलोक से प्रदीप्त रहा। 'आचारांग' में आत्मज्ञान का, अस्तित्व-बोध का वर्णन कर समत्ववृत्ति का आदेश दिया गया है। यहां अहिंसा में समत्व की, आत्मवाद की अभिव्यंजना है । स्व-सत्ता को जानना, अपने अस्तित्व का परिज्ञान प्राप्त करना ही आत्मवादी, लोकवादी, कर्मवादी और क्रियावादी होना है। समता को धारण कर मनुष्य स्वयं प्रसन्न होता है, दूसरों को भी प्रसन्न रखता है । 'आचारांग' में कहा गया है कि भगवान् महावीर आत्मशुद्धि के द्वारा संयत प्रवृत्ति को स्वयं ही प्राप्त करके शान्त, सरल बने और जीवन पर्यन्त समतामय रहे
सयमेव अभिसमागम्म आयत जोगमायसोहीए।
अभिणिव्वुडे अमाइल्ले आवकहं भगवं समितासी ॥
सामायिक में कुछ विशेष बातों की शुद्धता पर विशेष ध्यान जाता है, जैसे (१) द्रव्यशुद्धता—सभी प्रकार के उपकरण शुद्ध हों, यहां तक कि तनमन भी शुद्ध हो । मन में किसी प्रकार का राग-द्वेष न हो, क्रोध-आवेशजन्य आवेश न हो। सामायिक करने का स्थान, आसन आदि सभी पवित्र, शुद्ध हों। माला ग्रन्थ तक शुद्ध हों। किसी प्रकार का आडम्बर या कृत्रिमता न हो । न तनाव हो, न मानसिक संघर्ष हो । वास्तव में उपकरणों की शुद्धता वातावरण को शुद्ध कर मन को भी शुद्ध करने में सहायक होती है; (२) क्षेत्र की शुद्धता-सामायिक के लिए अनिवार्य है। जहां जो कार्य-विशेष किया जाता है, उसकी अपनी महिमा-गरिमा होती है, उसके लिए वातावरण की अनुकूलता, सामग्री की शुद्धता आवश्यक है। एक स्थान की सामग्री दूसरे स्थान पर उपयोगी सिद्ध नहीं हो सकती; जैसे प्रत्येक प्रयोग के लिए अलगअलग सामग्री और स्थान की अपेक्षा होती है उसी प्रकार सामायिक के लिए भी स्थान-विशेष की अपेक्षा होती है, न्यायालय की कार्रवाई पुस्तकालय में नहीं चलायी जा सकती, फिजिक्स के प्रयोग कैमिस्ट्री की प्रयोगशाला में नहीं किए जा सकते; (३) जैसे प्रत्येक कार्य करने का अपना नियतकाल होता है, निश्चित समय होता है, उसी प्रकार सामायिक का निश्चित समय होता है, नियम रूप में सामायिक की जाती है। सूर्योदय का, सूर्यास्त का समय निश्चित होता है । विशेष बीज बोने का विशेष समय एवं निश्चित काल होता है। भिन्न-भिन्न प्रकार के विषयों, कोसों, ट्रेनिंगों को पूर्ण करने का, अध्ययन करने का समय निश्चित होता है। निश्चित काल और नियमित रूप में सामायिक करना 'काल-की-शुद्धता' कहलाता है; (४) काल की शुद्धता के
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