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चरित्र को गतिशील बनाना है। राष्ट्रीय चरित्र को धूमिल करने वाले अनेक मुद्दे हैं। उनमें से प्रमुख पांच मुद्दों को सामने रखकर इस यात्रा का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है।
मनुष्य को बांटने की मनोवृत्ति राष्ट्रीय चरित्र की एक प्रमुख समस्या है। आर्थिक असन्तुलन, जातिवाद, सम्प्रदायवाद, रंगभेद की मानसिकता आदि ऐसी बातें हैं, जो मनुष्य-मनुष्य के बीच खाई चौड़ी कर रही हैं। एक ओर बहुमंजिली अट्टालिकाएं, दूसरी ओर झुग्गी-झोंपड़ियां । एक ओर शिखर पर आरोहण कर रही विलासिता, दूसरी ओर भिखारीपन। दूरी कम कैसे होगी? जातिवाद के नाग फन फैलाये खड़े हैं। धर्म को सम्प्रदायवाद के घेरे में बंदी बना दिया गया है। परस्पर घृणा और नफरत की भावना फैलती जा रही है। साम्प्रदायिक उन्माद किसी बम विस्फोट से कम भयावह नहीं होता। रंगभेद की नीति ने दक्षिण अफ्रीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को सत्ताईस वर्षों तक जेल में रहने के लिए विवश कर दिया। यह सब क्या है? क्या मानवीय दृष्टि से इनमें से किसी को भी कोई मूल्य दिया जा सकता है? इन्हें मूल्य देने की बात पर सिद्धान्तत : कोई सहमत हो या नहीं, पर इनके कसते हुए शिकंजे को ढीला करने के लिए प्रयत्न करने वाले व्यक्ति कितने हैं?
अणुव्रत की आस्था भाईचारे की भावना में है। वह राष्ट्र, प्रान्त, भाषा, धर्म, जाति, रंग, लिंग आदि के कारण आदमी को तोड़ता नहीं। वह विभिन्नता में एकता की बात करता है। वह कहता है कि यदि मनुष्य शेष मनुष्यों को अपना भाई माने तो वह अपनी ओर से किसी को कष्ट नहीं दे सकता। कष्ट देना तो बहुत आगे की बात है, वह किसी का कष्ट देख भी नहीं सकता। किसी की हत्या नहीं कर सकता। जाति के आधार पर किसी को ऊंचा या नीचा नहीं मान सकता। किसी को अछूत नहीं मान सकता। सम्प्रदायवाद का विष नहीं फैला सकता। ____ अणुव्रत भाईचारे की बुनियाद पर खड़ा है। वह विश्व मानव को भ्रातृभाव
और साम्प्रदायिक सौहार्द की सीख दे रहा है। काश! दीवारें ढहें। खाइयां पटें। भ्रांतियां मिटें। महत्त्वाकांक्षाएं रुकें और भाई-भाई गले मिलकर मानव मात्र को भाईचारे का सबक सिखाए।
काश ! दीवारें ढहें : ५६
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