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________________ २६. अणुव्रत परिवार योजना वर्तमान जीवन-शैली ने संयुक्त परिवार की प्रथा को तोड़ा हैं और एकल परिवारों की संस्कृति को जन्म दिया है। जब से गांवों का शहरों की ओर पलायन शुरू हुआ है, सम्बन्धों का धरातल खिसकता हुआ प्रतीत हो रहा है। पारिवारिक रिश्तों में लिजलिजापन आता जा रहा है। शिक्षा, व्यवसाय, आवास आदि की समस्याओं ने भी बड़े परिवारों के आगे प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया। एकल परिवारों में संस्कार, संस्कृति और परम्पराओं की विरासत छिन्न-भिन्न हो रही है। इस त्रासदी का अनुभव बहुत लोग कर रहे हैं। किन्तु इसे समाप्त करने की प्रक्रिया हाथों से निकल गयी है। इसी कारण भारतीय संस्कृति, सभ्यता और परिवेश का स्वरूप बदल गया है। वर्तमान युग का ढांचा उपभोक्ता मूल्यों वाली संस्कृति के आधार पर टिका है। इस युग की जीवन-शैली ने आवश्यकताओं पर आकांक्षाओं का लबादा डाल दिया है। आवश्यकता और आकांक्षा के बीच कोई भेदरेखा न होने से आम आदमी दिग्भ्रान्त बन रहा है। उसके जीवन में संयम या व्रत की चेतना क्षीण से क्षीणतर हो रही है। ऐसी स्थिति में किसी ऐसे अभियान या अनुष्ठान की अपेक्षा है, जो जन-जन के मन में सोयी हुई व्रत-चेतना को जगा सके। अणुव्रत आन्दोलन इस अपेक्षा की पूर्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ___व्यक्ति सुधार समाज सुधार की बुनियाद है, इस अवधारणा के आधार पर अणुव्रत ने एक-एक व्यक्ति की चेतना को झकझोरा। अणुव्रत मिशन को लोक-व्यापी बनाने के लिए देश भर में पदयात्राएं की गईं। लगभग चार दशकों का समय। सैकड़ों साधु-साध्वियों, समण-समणियों और अणुव्रती अणुव्रत परिवार योजना : ५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003144
Book TitleDiye se Diya Jale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size9 MB
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