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२३. आस्था और विश्वास के प्रतीक
शब्दकोशों में पृथ्वी के पयायवाची शब्दा ग रत्नगभा, वसुन्धरा आद नाम हैं। इन शब्दों पर विचार करते समय कभी-कभी मन में आता कि जिस रूप में धरती का दोहन हो रहा है, रत्नों का अनुपात बहुत कम हो गया है। इस स्थिति में उक्त नामों की कोई सार्थकता है क्या? नररत्नों की खोज की जाए तो उनका अस्तित्व और भी कम है। क्या यह कोशकारों की अतिशयोक्ति नहीं है, जो ऐसे शब्दों को प्रचलित किया?
इस प्रश्न पर गंभीर चिन्तन का निष्कर्ष यह निकला कि रत्नों और कंकरों का अनुपात बराबर कैसे होगा? यदि इनका अनुपात बराबर निकल आए तो रत्नों का मूल्य ही क्या होगा? धरती रत्नगर्भा है, यह बात निर्विवाद है। इस धरती पर आभूषणों में जड़े जाने वाले रत्न ही नहीं, नररत्न भी मिलते हैं। मोरारजी रणछोड़दास भाई देसाई एक विशिष्ट नररत्न थे, जो अभी-अभी अपनी जीवनयात्रा सम्पन्न कर चले गए। ___ भारतीय इतिहास की बीसवीं शताब्दी में गांधी युग का प्रारम्भ नए उच्छ्वास के साथ हुआ। गांधीजी के दर्शन ने भारतीय लोकमानस को प्रभावित किया। उस समय की विशिष्ट प्रतिभाओं ने गांधीजी का अनुगमन किया। गांधीजी के एक आह्वान पर वे अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए कटिबद्ध रहे। उनका दृष्टिकोण बदला, कार्य-शैली बदली और सब कुछ बदल गया। पर उन व्यक्तियों में से अब कितने व्यक्ति अस्तित्व में हैं? अनेक दीखते व्यक्ति अस्ताचल की ओट में हो गए। मोरारजी भाई को गांधी युग का अवशेष माना जाता था, पर आज तो वे भी नाम-शेष हो गए। उनके साथ जुड़ी हुई स्मृतियों का रंग एक बार फिर हरा हो गया, जब उनके स्वर्गारोहण का संवाद सुना।
आस्था और विश्वास के प्रतीक : ४६
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