________________
को समझाकर स्वर्णकलश लेने की बात कही। पर उनका निर्णय अटल है। अब देखते हैं कि पंच क्या फैसला देते हैं ?
सिकन्दर के मन में भी पंचायत का फैसला सुनने की भावना तीव्र हो उठी। पंचों ने फैसला सुनाया-'खेत में जो खजाना निकला है, वह अब तक अज्ञात था। किस समय किस व्यक्ति ने उसे यहां गाड़ा, इस सम्बन्ध में किसी को कोई जानकारी नहीं है। ये दोनों व्यक्ति इसे अस्वीकार कर रहे हैं। बहुत समझाने के बावजूद ये इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में पंचायत का निर्णय है कि सारा धन विश्वविद्यालय के उपयोग में लिया जाएगा। सिकन्दर खेत के दोनों मालिकों की निस्पृहता देखकर मन-ही-मन उनके प्रति प्रणत हो गया।
एक ओर अर्थ के प्रति इतनी अनासक्ति ! इतनी निस्पृहता ! दूसरी ओर अर्थ के प्रति अतिरिक्त लगाव। इतना अधिक लगाव कि अर्थ के मामले में उजली छवि की बात कल्पनालोक जैसी बात लगती है। ऊपर से लेकर नीचे तक प्रायः सब लोग आर्थिक असदाचार में लिप्त पाए जाते हैं। कभी-कभी तो ऐसा प्रतीत होता है कि अर्थ ही जीवन बन गया है। उसके लिए औचित्य
और अनौचित्य की सारी सीमाएं टूट गई हैं। यही कारण है कि कोई व्यक्ति किसी के बारे में कुछ भी कह सकता है। क्या भारत के वे दिन फिर कभी लौटेंगे, जब आर्थिक शुचिता के आधार पर व्यक्ति का मूल्यांकन होगा? अणुव्रत ही एक आशादीप है, जो सिकन्दर जैसे विदेशी शासकों के मन में भारतीय आस्था का उजास पहुंचा सकता है।
___ ४४ : दीये से दीया जले
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org