________________
१८. स्वस्थ कौन?
मनुष्य अस्वस्थ है, इसलिए अशान्त है। स्वस्थ मनुष्य कभी अशान्त नहीं होता । स्वस्थ कौन होता है? जो शरीर से स्वस्थ है, वह स्वस्थ होता है? जो मन से स्वस्थ है, वह स्वस्थ होता है? शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ व्यक्ति स्थूल रूप से स्वस्थ कहलाता है, पर यह स्वस्थता की अधूरी परिभाषा है। मानसिक स्वस्थता का स्तर कुछ ऊंचा है, पर वह भी अपने आप में पूर्ण नहीं है। सर्वोत्तम स्वास्थ्य है भावनात्मक स्वास्थ्य-इमोशनल हेल्थ । शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा नहीं की जा सकती, पर भावनात्मक स्वास्थ्य के अभाव में शरीर और मन भी स्वस्थ नहीं रह सकते।
आज का आदमी शरीर के प्रति जितना जागरूक है, मन के प्रति नहीं है। वह भोजन, वेषभूषा, स्नान, भ्रमण आदि पर पर्याप्त ध्यान देता है, किन्तु संगीत, साहित्य, काव्य, कला, प्राकृतिक सौन्दर्य आदि के प्रति पूरा जागरूक नहीं रहता। वह मन के प्रति जितना जागरूक है, भावों के प्रति नहीं है, आत्मा के प्रति नहीं है। वह रोजी-रोटी की चिन्ता से उपरत होकर सांस्कृतिक दृष्टि से कुछ सक्रिय हो जाता है, पर प्राणों की प्यास का अनुभव ही नहीं कर पाता। अस्वस्थता का अनुभव होने पर मनुष्य चिकित्सक के पास जाता है। वह शरीर की जांच कराता है, औषधि का सेवन करता है और स्वस्थ होना चाहता है। किन्तु न चिकित्सक स्वस्थ है और न औषधि स्वस्थ-शुद्ध है। अस्वस्थ से स्वास्थ्य की आशा करने से निराशा ही हाथ लगेगी।
स्वास्थ्य की समीचीन प्रक्रिया में सबसे पहले भावों पर ध्यान देना जरूरी है। भावों की स्वस्थता का अर्थ है भावों की पवित्रता। जो व्यक्ति अपने आवेगों और संवेगों पर नियंत्रण रखता है, निषेधात्मक भावों से मुक्त रहता है, उसके भाव पवित्र हो सकते हैं। निराशा, घृणा, आक्रोश, क्रूरता, छलना
स्वस्थ कौन? : ३६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org