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अणुव्रत कोई हवाई कल्पना नहीं है। बहुत ऊंचे आदर्शों को आत्मसात् करने की बात भी नहीं है। यह मानवीय मूल्यों की रक्षा का एक छोटा-सा अभियान है। अच्छे जीवन की न्यूनतम आचार-संहिता है। उत्कृष्ट आचार के लिए इसमें पर्याप्त अवकाश है। फिर भी वह यथार्थ की धरती से दूर हटकर कोई बात नहीं करता है। अणुव्रत मनुष्य को देवता बनाने का उपक्रम नहीं है। इसका लक्ष्य है-मनुष्य को मनुष्य बनाना। मनुष्यता के मापक बिन्दु ये हो सकते हैं:
• प्राणी मात्र के प्रति संवेदनशीलता। • मानवीय सम्बन्धों में उदार दृष्टिकोण। • व्यक्तिगत चरित्र की उदात्तता। • खानपान की शुद्धि और व्यसनमुक्ति। • व्यक्तिगत हित या स्वार्थ के लिए किसी के हितों को विघटित न
करना। इसी प्रकार की कुछ और बातें जीवन के साथ जुड़ती रहें और मनुष्य मनुष्यता के शिखर पर आरोहण करता रहे,यही अणुव्रत है। यात्रापथ कितना ही लम्बा क्यों न हो, अणुव्रत का साथ है तो फिर भय की कोई बात नहीं
३६ : दीये से दीया जले
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