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________________ १२. वर्तमान को देखो हमारी संस्कृति में आस्था और विश्वास के कुछ विशेष प्रतीक थे। उन प्रतीकों में आत्मा, परमात्मा, धर्म, उपासना, स्वर्ग-नरक आदि को उपस्थित किया जा सकता है। समय बदला। चिन्तन का कोण बदला और बदल गया जीवन का व्यवहार। वर्तमान युग में आस्था के नये प्रतीक हैं अन्तरिक्ष यात्राएं, वैज्ञानिक आविष्कार, आधुनिक टेक्नोलॉजी, विद्युत-शक्ति के चमत्कार आदि । आत्मा, ईश्वर आदि में होने वाला विश्वास चरित्र की परिक्रमा करता है। स्वर्ग का आकर्षण और नरक की विभीषिका भी अपराध चेतना की दिशा को बदल सकती है। किन्तु जहां चरित्र हाशिये पर चला जाता है और अपराधी मनोवृत्ति पर किसी प्रकार का अंकुश नहीं रहता, वहां समाज रसातल में चला जाता है। ___मैं अतीत और अनागत को अपने चिन्तन से ओझल नहीं करता। पर उन्हीं को सब कुछ मान कर नहीं सोचता। अतीत व्यक्ति के वर्तमान का आधार बनता है और भविष्य की कल्पनाओं के आधार पर वर्तमान को संवारा जाता है। इस दृष्टि से वर्तमान अपने अतीत और अनागत का आभारी रहता है। किन्तु वर्तमान को दूसरे स्थान पर रखते ही मनुष्य के आचार-विचार की दिशा बदल जाती है। इसलिए जो लोग अच्छा और सच्चा जीवन जीना चाहते हैं, उनको पूरा ध्यान वर्तमान पर केन्द्रित करना होगा।। मनुष्य क्रिया करता है। पर सामान्यतः वह क्रिया नहीं, प्रतिक्रिया करता है। किस व्यक्ति ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया है, इस कसौटी को वह अपने व्यवहार की तुला बनाता है। जब तक यह तुला सामने रहेगी, मनुष्य निरपेक्ष चिंतन और व्यवहार नहीं कर पायेगा। इस बात को मैं जानता हूं कि प्रतिक्रियाओं से बचना कोई सरल काम नहीं है। पर प्रतिक्रियाओं में ही वर्तमान को देखो : २५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003144
Book TitleDiye se Diya Jale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size9 MB
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