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प्रायः सदा रही हैं। इसका कारण है भीतरी आकांक्षाओं का उभार और पदार्थों की कमी। आर्थिक विषमताओं को दूर करने के लिए आकांक्षाओं का अल्पीकरण और पदार्थों की पर्याप्त उपलब्धि आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति आकांक्षाओं के संयम का सिद्धान्त स्वीकार करे तो आर्थिक समानता लायी जा सकती है।
जिज्ञासा-कश्मीर, पंजाब और असम को आतंकवाद से मुक्त कराने के लिए अहिंसक समाधान क्या हो सकता है?
समाधान-आतंकवाद का जहां तक सवाल है वह पंजाब, असम, कश्मीर तक या एक प्रदेश तक सीमित नहीं है। पूरे विश्व में यत्र-तत्र वह सिर उठा रहा है। उसके प्रतिरोध में व्यापक अभियान की जरूरत है। एक लक्ष्यबद्ध कार्यक्रम चलाना होगा। इसके लिए बलिदानी मनोवृत्ति वाले उत्साही लोग हों और उनका नेतृत्व महात्मा गांधी जैसे व्यक्ति के हाथ में हो तो आज भी संभावनाओं का सूरज अस्त नहीं हुआ है। एक ओर निष्ठाशील, निष्काम, तटस्थ और प्रभावशाली व्यक्ति के नेतृत्व में अहिंसक प्रयोग हो, दूसरी ओर आतंकवाद से जुड़े लोगों के हृदय-परिवर्तन का प्रयास हो तो यह प्रयोग एक असाधारण प्रयोग हो सकता है। शर्त एक ही है कि इस कार्यक्रम से जुड़ने वाले सब लोगों की अहिंसा में गहरी आस्था हो और उनका उचित प्रशिक्षण हो।
जिज्ञासा-हिंसा के प्रतिकार के लिए वैचारिक और भावनात्मक साधन के अलावा क्या किसी अन्य क्रियात्मक साधन का उपयोग किया जा सकता है? आपके पास अहिंसक सैनिकों की बड़ी सेना है, क्या इसका उपयोग इस दिशा में नहीं किया जा सकता ? ___समाधान-हिंसा का कोई निश्चित चेहरा नहीं है। वह अनेक रूपों में राष्ट्र के लिए चुनौती बन रही है। हमने व्यक्तिशः अनेक लोगों को समझाने और उनका हृदय-परिवर्तन करने के प्रयोग किये हैं। अनेक डाकुओं ने अपनी जीवन की दिशा बदली है। जेल के सींखचों में बन्द अपराधियों का मन बदला है। हजारों लोग व्यसन-मुक्त हुए हैं। इस काम के लिए हमने स्वयं कष्ट सहकर भी अनवरत पदयात्राओं का प्रयोग किया है। आज के अत्यधिक सुविधावादी युग में ऐसा किया जा रहा है। इससे आगे कोई प्रयोग
जिज्ञासा : समाधान : १८३
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