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________________ नहीं हो सकते, यह बात नहीं है । आतंकवाद की समस्या कोई छोटी समस्या नहीं है । इस समस्या का मूलभूत उद्देश्य जब तक पकड़ में नहीं आता है, तब तक समाधान की गहराई में उतरने की बात नहीं बन सकती । पंजाब समस्या का मूल ध्यान में आया तो सन्त लोंगोवाल से समझौता हुआ। उलझी हुई गुत्थियों के बीच एक रास्ता बना । यदि लोंगोवाल रहते तो वह रास्ता और अधिक प्रशस्त हो सकता था। पर उनकी हत्या ने एक नयी समस्या खड़ी कर दी । हर एक समस्या का समाधान हो ही जाएगा, ऐसी गर्वोक्ति कोई नहीं कर सकता । प्रयास करना हमारा काम है। पंजाब जैसे अशान्त प्रदेश में आज भी हमारे साधु-साध्वियों के अनेक वर्ग विहार कर रहे हैं, वहां के लोगों में अहिंसा एवं शांति का प्रचार कर रहे हैं, प्रेक्षाध्यान के द्वारा हृदय परिवर्तन की दिशा में भी प्रयोग चल रहे हैं 1 जिज्ञासा- आपने प्रेक्षाध्यान द्वारा हृदय परिवर्तन की बात कही । आतंकवाद जैसी जटिल समस्या का हल क्या हृदय परिवर्तन हो पाएगा? समाधान- किसी भी समस्या को अन्तहीन या असाध्य मानकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना अच्छी बात नहीं है। जहां तक आतंकवादियों के हृदय-परिवर्तन का प्रश्न है, यह एक उपाय है । हृदय परिवर्तन का प्रयोग भी तभी सफल हो पाता है, जब सामने वाला व्यक्ति स्वयं बदलना चाहे । बदलाव में व्यक्ति आस्था हो और प्रयोग करने वाले की संकल्पशक्ति भी दृढ़ हो तो सफलता असंदिग्ध है । पर दोनों में से एक पक्ष भी दुर्बल हो जाए तो सफलता दूर खिसक जाती है। हृदय परिवर्तन की बात करने वालों के पास कोई ऐसा जादू नहीं होता, जो हाथोंहाथ व्यक्ति को बदल दे । जिज्ञासा - वर्तमान परिस्थितियों में आपको भारत का भविष्य कैसा लगता है ? लोगों की लोकतंत्र से आस्था डिगने लगी है। वैकल्पिक समाधान क्या हो सकता है ? समाधान- मैं न तो भविष्यवक्ता हूं और न बनना चाहता हूं । किन्तु वस्तुस्थिति का व्याख्याता बनने में कोई कठिनाई नहीं है । लोगों की लोकतंत्र से आस्था उठ गई है। इस वाक्य को मैं एकांगी मानता हूं । जो चल रहा है, वह सही लोकतंत्र है क्या? यदि नहीं तो उस पर आस्था टिकेगी कैसे? व्यक्ति १८४ : दीये से दीया जले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003144
Book TitleDiye se Diya Jale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size9 MB
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