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घट घट दीप जले
प्रकाश सबको प्रिय है । कोइ अंधेरा नहीं चाहता । अंधेरे को मिटाना एक बात है, पर अंधेरे को प्रकाश में बदल देना दूसरी बात है । अध्यात्म वह प्रकाश है जो घट-घट में प्रकाशित होकर अखंड रह सकता है।
प्रस्तुत ग्रन्थ में प्रकाश को प्राप्त करने की प्रक्रियाओं का उल्लेख है तथा अध्यात्म के परिप्रेक्ष्य में अनेक विषयों का स्पर्श किया गया है। इसमें मुख्य विषय ये हैं
१. राजनीति का आकाश : नैतिकता की खिड़की २. समाजवाद में कर्मवाद का मूल्यांकन ३. विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था और कर्मवाद ४. कमशास्त्र : मनोविज्ञान की भाषा में ५. भारतीय दर्शन में निराशावाद ६. सत्य की खोज : विसंवादिता का अवरोध ७- प्रत्ययवाद और वस्तुवाद ८. परिणामिनित्य ६. अद्वैत और द्वैत
इसी प्रकार सामयिक वादों और प्राचीन तत्त्ववादों का भी सुन्दर विवेचन इसमें प्राप्त है।
शिक्षा और शिक्षक के विषय में भी अनेक तथ्यपूर्ण निबंधों का इसमें समाकलन है। इसी प्रकार धर्म और कर्तव्य, धर्म और विज्ञान, धर्म का मनोवैज्ञानिक विश्लेपण, धर्म : समस्या के संदर्भ में, धर्म और जीवनव्यवहार आदि-आदि निबंधों में धर्म के संदर्भ की चर्चा है।
युवक की सर्वांगीण परिभाषा और उसके दायित्व-बोध, अनुशासन, कर्तव्य-बोध आदि के दस निबंध प्राप्त हैं, जिनमें युवक की विभिन्न कोणों से चर्चा की गई है। ये निबंध युवक के मानसिक, वैचारिक और व्यावहारिक जीवन को उच्च बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। जैसे
० युवक वह है जो विपरीत दिशा में खड़ा रह सकता है । ० युवक वह है जिसमें युगबोध होता है। ० युवक वह है जिसमें धन का, प्राणों का और जिजीविषा का मोह
नहीं होता। ० युवक वह है जो आगे की ओर देखता है। ० युवक वह है जो शक्ति या शक्ति की अभिव्यक्ति का स्रोत है ।
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