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व्यक्ति और विचार
कुछ देखा कुछ सुना कुछ समझा यह लघुकाय यात्रा-ग्रंथ है । इसमें आचार्यश्री तुलसी की जयपुर से कानपुर, कानपुर से कलकत्ता और कलकत्ता से सरदारशहर तक की यात्रा का संक्षिप्त वर्णन है। आचार्यश्री महान् परिव्राजक हैं। उनके परिव्रजन का लेखाजोखा देने वाले चार-पांच दीर्घकाय यात्रा-ग्रन्थ तेरापंथ की विदूषी लेखिका साध्वी प्रमुखा कनकप्रभाजी की लेखनी का स्पर्श पाकर प्रकाश में आ चुके हैं।
प्रस्तुत ग्रंथ एक लघु यात्रा का चित्रण इस प्रकार प्रस्तुत करता है कि पाठक इसको पढ़ते समय अपने आपको आचार्यश्री की यात्रा का सहयात्री अनुभव करने लगता है। इसमें आचार्यश्री के संपर्क में आने वाले विशिष्ट व्यक्तियों, उनसे हुए वार्तालापों का भी समावेश हुआ है। लेखक का कथन है.---'आचार्यश्री आचार का विकास चाहते हैं और उस विचार का विकास चाहते हैं जो आचार को पुष्ट करे। इसी उद्देश्य से वे परिव्रजन करते हैं । हजारों व्यक्तियों से उन्होंने संपर्क किया है और लाखों उनके सम्पर्क में आए हैं ।
यात्रा का उद्देश्य केवल चलना ही नहीं होता। उसका उद्देश्य होता है-जन-संपर्क और जनता के आध्यात्मिक उन्नयन का प्रयास ।।
इन यात्राओं में ऐसा हुआ है और यह सब इस यात्रा-ग्रन्थ में उल्लिखित है।
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