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२. व्यक्ति और विचार
प्रस्तुत खंड के अंतर्गत महापुरुषों की जीवन-गाथा से संबंधित १० पुस्तकों का परिचय है । महापुरुष देशातीत और कालातीत होते हैं । वे व्यष्टि नहीं समष्टि होते हैं । उनका जीवन इतना विराट् होता है कि उसमें स्व-पर का भेद नहीं रहता । वे सबके और सब उनके होते हैं । इसलिए वे जन्मगत कुल परंपरा से ऊपर उठकर वसुधैक कुटम्बकम् के परिचायक बन जाते हैं । उनका जीवन सीमातीत होता है । वह सबके लिए आदर्श बन जाता है । उनकी जीवन-गाथा को लिपिबद्ध करने का एकमात्र उद्देश्य यही होता है कि उनके महान् बनने के जीवन सूत्रों से सामान्यजन भी मानव बनने की प्रेरणा ले सके और उनके विचारों का अनुगमन कर साधारण मनुष्य भी जीवन में महान् बन सके । इस खंड में श्रमण महावीर, आचार्य भिक्षु, श्रीमज्जयाचार्य, आचार्य तुलसी आदि महान् पुरुषों का जीवन वृत्तान्त, उनकी महान् पदयात्राएं, जीवन संस्मरण और शास्वत विचारों से गुंफित ग्रंथ हैं, जिनका अवगाहन सचमुच व्यक्ति को विरलता प्रदान करता है ।
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