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महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण
अभय की खोज
युवाचार्यश्री की एक महत्त्वपूर्ण कृति है-कैसे सोचें ? उसका अन्तिम अध्याय है-अभय की खोज । उसी को इस लघु कृति में स्थान प्राप्त है। इसमें छह निबंध हैं१. अभयदान
४. भय की प्रतिक्रिया २. भय का स्रोत
५. रचनात्मक भय ३. भय की परिस्थिति
६. अभय की मुद्रा मनोविज्ञान की भाषा में पलायन एक प्रवृत्ति है और उसका संवेग है भय । पलायन और भय दोनों जुड़े हुए हैं।
भय उत्पन्न होने के चार मुख्य कारण हैं(१) प्राकृतिक नियमों को न जानना । (२) शरीर के नियमों को न जानना । (३) मन के नियमों को न जानना । (४) चेतना के नियमों को न जानना ।
भय के मूल स्रोत भी चार हैं.--सत्वहीनता, भय की मति, भय का सतत चिन्तन और भय के परमाणुओं का उत्तेजित होना ।
भय पर सर्वांगीण विमर्श प्रस्तुत पुस्तक में उपलब्ध है। इसमें भयमुक्ति के उपायों का तथा अभय कैसे बना जा सकता है, इसके सूत्र भी निदिष्ट
जीवन-विज्ञान : शिक्षा का नया आयाम
शिक्षा के चार आयाम हैं- शारीरिक विकास, मानसिक विकास, बौद्धिक विकास और भावात्मक विकास। इन चारों में व्यक्तित्व-विकास के सभी तत्त्व समाविष्ट हैं ।
आज की शिक्षा प्रणाली त्रुटिपूर्ण नहीं, पर अपूर्ण है। उसमें शारीरिक विकास और बौद्धिक विकास का पूर्ण अवकाश है, पर शेष दो विकास उपेक्षित हैं। इन दो आयामों पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता, इसीलिए शिक्षण संस्थान से निकलने वाले विद्यार्थी इन दो में अविकसित रह जाते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि परिवार, समाज और राष्ट्र में लंगड़ापन आ जाता
जीवन-विज्ञान विद्या की एक शाखा है । यह किसी धर्म या संप्रदाय से संबंधित नहीं है। इसका विकास यदि शिक्षा की शाखा के रूप में होता है तो विद्यार्थियों का व्यक्तित्व अखंड हो सकता है । विद्यार्थी में बौद्धिक विकास
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