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प्रक्षा साहित्य
१६
किसने कहा मन चंचल है ?
बड़े-बड़े दार्शनिकों और विद्वानों ने मन को चंचल मानकर उसे स्थिर करने के उपायों का निर्देश किया है। किन्तु इन सबसे हटकर युवाचार्य श्री कहते हैं-किसने कहा मन चंचल है ? यही इस पुस्तक का शीर्षक बन गया है । पुस्तक के वाच्यार्थ का सार प्रस्तुत करते हुए युवाचार्यप्रवर लिखते हैं
'शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए मैं प्रस्थान-त्रयी में विश्वास करता हूं। पहला प्रस्थान है --- मन को समझना । दूसरा है- उसे सु-मन बनाना और तीसरा है उसे अ-मन में बदल देना । प्रस्तुत पुस्तक में इस प्रस्थान-त्रयी की संक्षिप्त-सी चर्चा मैंने की है। केवल मन की चंचलता की उलझन में फंसे हुए लोग मन की वास्तविकता को नहीं समझ सकते । चित्त की वास्तविकता को जाने बिना मन की वास्तविकता जानी नहीं जा सकती। चित्त की परिक्रमा करने, मन को समझने में यह पुस्तक कुछ सहारा दे सकती है।'
मन स्वयं चंचल नहीं है । उसको चंचल बनाने वाले अनेक घटक हैं। जब वे इसका स्पर्श करते हैं तब मन चंचल होता है । जब यह बात स्पष्ट हो जाती है तब चैतन्य-विकास की आकांक्षा तीव्र बनती है और साधक उस प्रस्थान-त्रयी के लिए समर्पित हो जाता है ।
यह बहु-पठित और बहु-चचित पुस्तक अध्यात्म योग की कुछ नई दिशाएं उद्घाटित करती हैं और विज्ञान के संदर्भ में अध्यात्म को समझने में सहयोग देती है । अध्यात्म और विज्ञान को सर्वथा विभक्त कर नहीं देखा जा सकता ।
इस ग्रन्थ में तीन शिविरों के प्रवचन संकलित हैं। इसके तीन खंड हैं। उनमें इकतीस प्रवचन हैं । पहला खंड है-दर्शन का नया आयाम । यह खंड 'अस्तित्व की खोज : सम्यग्दर्शन' से प्रारंभ होता है और दायित्व का बोध' में परिसमाप्त होता है। दूसरा खण्ड है---शक्ति का जागरण । इसमें शक्ति-जागरण के सूत्रों, साधना की निष्पत्ति, शक्ति-जागरण का मूल्य और प्रयोजन के विषय में विशद चर्चा है। तीसरा खण्ड है-मानसिक प्रशिक्षण । इस में चेतना के तीन आयामों की चर्चा है। पहला है--इन्द्रिय चेतना का आयाम, दूसरा है --- मनश्चेतना का आयाम और तीसरा है - द्वन्द्वातीत चेतना का आयाम । द्वन्द्र पांच हैं....
१. लाभ और अलाभ का द्वन्द्व । ४. निंदा और प्रशंसा का द्वन्द्व । २. सुख और दुःख का द्वन्द्व । ५. मान और अपमान का द्वन्द्व । ३. जीवन और मरण का द्वन्द्व ।
चेतना के इस तीसरे आयाम की साधना के साधक-बाधक तत्वों की चर्चा प्रस्तुत अध्याय में है । इस प्रकार यह ग्रंथ रन और चित्त के विभिन्न पहलु भों का मनोवैज्ञानिक विवेचन प्रस्तुत करता है।
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