________________
चिन्तन के क्षितिज पर
थियागरेज्जा" का उपदेश देकर संसार को यही सन्देश दिया है कि स्याद्वादरहित एकान्त वचन नहीं बोलना चाहिए । अहिंसा - पालकों के लिए स्याद्वाद प्रणाली के अतिरिक्त भावाभिव्यक्ति के लिए अन्य कोई निरवद्य प्रणाली नहीं है । इसी के द्वारा हम वस्तु सम्बन्धी हमारी अनुभूति को यथार्थ ढंग से अभिव्यक्त कर सकते हैं और वस्तु, श्रोता तथा स्वयं अपने प्रति न्याय कर सकते हैं ।
७०
१. सूत्रकृतांग, १-१४-१६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org