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सामाजिक न्याय का विकास १५
व्यय और शोषण की अनेक स्थितियां उसके परिवेश की चिंदियां उड़ा डालती हैं ! बहुत बिलम्बित और बहुत व्यय-साध्य वह न्याय उसके लिए अन्याय से भिन्न नहीं होता । न्यायाधिकारी भले ही उसे विकास की प्रक्रिया का अनिवार्य अंग मानकर संतुष्ट हो लें परन्तु साधारण जन इस भूल-भुलैया जैसी प्रक्रिया से परेशान हैं। इतना विलम्बित और महंगा न्याय अपने विकास की नहीं, ह्रास की ही एक दुःखांत कहानी कहता प्रतीत होता है।
अंधा होता है न्याय संस्कृत व्याकरण की समस्याओं को हल करने के लिए कुछ न्याय-सूत्र हैं। उनके प्रयोग की ओर संकेत करते हुए कहा गया है--'न्याया वृद्धयष्टि प्रायाः' अर्थात् ये न्याय बूढ़े की लड़की के समान हैं, आवश्यकता हो तभी टिकाओ, अन्यथा उठाए चलो। शायद न्याय की सर्वत्र यही दशा है । जहां लागू किया जाता है वहां वह बाल की भी खाल उधेड़ लेता है, अन्यथा घोड़े बेचकर सोया रहता है। __ न्याय एक प्रकार से अंधा होता है, वह गवाहों के सहारे टटोलता हुआ आगे बढ़ता है, उस टटोल में मिले तथ्यों के आधार पर निर्णय करता है। पर तथ्य सदा ही सत्य नहीं होते। अनेक बार तो ऐसे बनावटी तथ्य प्रस्तुत किए जाते हैं कि सावधान से सावधान न्यायाधीश भी चक्कर खा जाता है । तथ्य सत्य से कितने दूर हो सकते हैं, इसके लिए एक घटना की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहूंगा ।
तथ्य और सत्य एक किसान का युवक पुत्र मध्याह्न के समय भोजन करने के लिए घर आया। बहुत तेज भूख लगी हुई थी। उसकी मां कहीं बाहर गई हुई थी। उसने रसोई घर में प्रवेश किया तो देखा कि अन्य भोजन सामग्री के साथ खीर बनाई हुई है। उसने अन्य सामग्री तो ज्यों की त्यों छोड़ दी, केवल खीर ही खाई । खीर समाप्त होने पर उसने सोचा कि अब इस चोरी से कैसे बचा जाए? उसने एक उपाय सोचा और अपनी पालतू बिल्ली को रसोई में ले आया। उसके मुंह तथा पंजों पर बचीखुची खीर लगाकर उसे छोड़ दिया। रसोई घर से बाहर तक पंजों के निशान बनाती हुई बिल्ली चली गई। युवक निश्चित होकर सो गया। थोड़ी देर बाद युवक के माता-पिता भी घर पर आ गए। भोजन करने के लिए बैठे तब किसान को पता चला कि खीर का बरतन खाली है और रसोई घर से बिल्ली के पंजों के निशान हैं। इस तथ्य के आधार पर निष्कर्ष निकालने में उन्हें देर न लगी। ऋद्ध किसान ने आव देखा न ताव, पास में पड़ी कुल्हाड़ी बिल्ली पर दे मारी, वह वहीं पर ढेर हो गई। किसान का बेटा देख रहा था कि अकाट्य तथ्य के आधार पर बेचारी बिल्ली मारी गई।
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