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________________ अहिंसक क्रान्ति के पुरोधा : भगवान् महावीर वर्द्धमान से महावीर भगवान महावीर भारत के उन नर-रत्नों में से एक थे, जिनके व्यक्तित्व का प्रभाव युगों-युगों तक जीवित रहता है और मानव जाति के प्रगति-मार्ग पर प्रकाश फैलाता है । अपने लिए जीने वालों की संसार में कोई कमी नहीं है, परन्तु अपने जीवन को सबके लिए समर्पित कर डालने वालों की संख्या तो अंगुलियों पर गिनने योग्य ही पायी जाती है । भगवान् महावीर उन अंगुलिगण्य व्यक्तियों की अग्रसंख्या में थे। मनुष्य अपने कर्तव्य के बल पर भगवान् बन जाता है---इस सत्य के वे एक सजीव उदाहरण थे। उनका जन्म ई० पू० सन् ५६६ में चैत्र शुक्ला त्रयोदशी के दिन हुआ। ज्ञातवंशी राजा सिद्धार्थ उनके पिता और विदेह जनपद की राजकुमारी त्रिशला उनकी माता थी। बिहार प्रदेश के अंतर्गत क्षत्रिय कुंडनगर उनका जन्म-स्थान था। उनके जन्म के साथ ही राज्य में धन-धान्य और आनंद की प्रचुर वृद्धि हुई, अतः माता-पिता ने उनका गुणानुरूप नाम वर्द्धमान रखा। बाद में वे 'महावीर' नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए। यह नाम उनकी निर्भयता, बलवत्ता और सहिष्णुता की पराकाष्ठा देखकर जनता द्वारा दिया गया । वस्तुतः उनका समग्र जीवन उस वीरता की ही एक कहानी था, जिसमें क्रूरता या पर-पीड़न के लिए नाममात्र को भी स्थान नहीं था। वह युग महावीर जिस वंश में उत्पन्न हुए थे, उनमें स्वावलम्बन, स्वतंत्रता और समानता को बहुत महत्त्व प्राप्त था, अतः प्रारम्भ से उनकी वृत्ति इन गुणों से अनुप्राणित रही। आगे चलकर ये ही बीज आध्यात्मिकता की भूमि पर अंकुरित हुए और समग्र प्राणियों के लिए शुभफलदायी बने। तीस वर्ष तक वे घर में रहे। यौवन, सम्पत्ति और सत्ता की प्रचुरता चारों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003140
Book TitleChintan ke Kshitij Par
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1992
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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